Shiv was in ICU, Shakti was also responsible for this, if his life had not been saved, he would have been safe. | लव पॉइंट: शिव आईसीयू में था, इसके लिए शक्ति भी ज़िम्मेदार थी, अगर उसकी जान न बचाई होती, तो वह सेफ होता

50 मिनट पहले

  • कॉपी लिंक

“लड़की शहर में नई हो, सुंदर हो क्यूट लग रही हो

वैसे सिंगल हूं, दिल का भी अच्छा

क्या हसबैंड ढूंढ रही हो

कुछ भी करना हो हमसे कहना यहां के डॉन हैं हम…डम डम डिगा डिगा डम”

कोरस में फटे बांस जैसे गा रहे आवारा शोहदों की आवाज़ पर वह मुड़ी और वहीं खड़ी हो गई।

लड़कों के लिए यह नई बात थी। लड़कियां या तो उस पान की गुमटी के आगे से निकलती ही नहीं थीं और कोई ग़लती से आ भी जाए तो तेज़ क़दमों से सरपट चल देती थीं। यह पहली बार था जो बला की सुंदर कोई लड़की उनको पलटकर देख रही हो, वह भी इतने इत्मीनान से।

लड़कों की हिम्मत बढ़ी तो दो साथ में आगे आए, “क्या मैडम, आगे भी सुनना है? नंबर लिख 98971 उसके आगे डम डम डिगा डिगा डम क्योंकि अंग्रेजी आती है कम, तेरे प्यार पे शुरू तेरे प्यार पे खतम नंबर लिख….”

तड़ाक…तड़ाक… दोनों के गाल पर इतने ज़ोरदार तमाचे पड़े कि एक लड़खड़ा गया और दूसरा तो गिर ही गया लेकिन जल्दी से दोनों सम्भले, आसपास देखा, सब उन्हें ही देख रहे थे। बेइज़्ज़ती के एहसास ने उनमें ग़ुस्सा भर दिया। एक ने झपटकर उसके बाल पकड़ लिए, दूसरे ने गला।

“स्याली, बड़ी हीरोइन समझती है खुद को। इस थोबड़े पर एसिड पड़ गया न एक बार, गल जाएगा पूरा, कोई थूकने भी नहीं आएगा इस शक्ल पर।”

इतना सुनते ही उस लड़की ने उसके दोनों पैरों के बीच अपनी हील से ज़ोरदार किक मारी, और दूसरे को पीछे से खींचते हुए ज़ोर से ज़मीन पर पटक दिया। अब दोनों ज़मीन पर गिरे दर्द से बिलबिला रहे थे, बाक़ी सब वहां से भाग चुके थे, बस एक ही बचा था जो यह सब बड़ी दिलचस्पी से देख रहा था।

“तुझे बड़ा मज़ा आ रहा है, रुक अभी बताती हूं।” लड़की उसकी तरफ लपकी, तभी वह जैसे होश में आया और चीते की फुर्ती से बाउंड्री वॉल फर्लांग कर ग़ायब हो गया। पुलिस वैन वहां आ चुकी थी।

“और दस किलोमीटर दूर खड़ी करते गाड़ी। कहा था न आसपास रहना, जल्दी पहुंचना।” वह लड़की पुलिसवालों को डांट पिला रही थी।

“सॉरी मैडम, आसपास कहीं छिपने की जगह नहीं थी। आपने ही मना किया था नज़र आने को।”

“ठीक है, ठीक है, इन पोटेंशियल मर्डरर और रेपिस्टों को ले चलो थाने। पहले सोचा था सबक़ सिखाकर छोड़ दूंगी, लेकिन एसिड अटैक की धमकी दी, एसिड….छोडूंगी नहीं इनको तो।”

इंस्पेक्टर शक्ति ग़ुस्से से उबल रही थी। कुछ दिनों से यहां शोहदों की बढ़ती तादाद की शिकायतें मिल रही थीं, इसलिये वह जायज़ा लेने आई थी।

“वह एक जो भाग गया है, उसकी आंखों में बड़े क्रिमिनल वाली चमक और निडरता है, उसे भी दबोचना होगा।”

वह उन आंखों को भूल नहीं पा रही थी। और वह लड़का भी, इस तूफ़ान को नहीं भूल पा रहा था। पिंक क्रॉप टॉप और ब्लैक केप्री में कंधों तक लहराते खुले बाल, सुनहरी रंगत और ग़ुस्से से दहकते गुलाब गाल, अंगार होंठ, वह लड़की टक से आकर लगी थी।

क़रीब तीन महीने बीत गए थे इस बात को। श्मशान में भभूति मले, धूनी रमाए अघोरियों के बीच कुछ विदेशी हिप्पी और कुछ साधु चिलम फूंक रहे थे। चिताओं की राख धधक रही थी।

तभी पुलिस वैन वहां पहुंच गई।

पुलिस की गाड़ी देखते ही विदेशी भाग खड़े हुए, साधु भी हड़बड़ाकर जाने लगे। अघौरियों ने आंखें भी नहीं खोलीं। इंस्पेक्टर शक्ति ने सबको गौर से देखा।

“इस एरिया में चोरी-चकारी, छेड़-छाड़ और नशे की लत बहुत बढ़ गई है। हमको कम्प्लेंट आ रही हैं। आप लोग…”

“हम लोग साधना में लीन हैं। न किसी जीवित का अहित कर रहे हैं न मृत का। हमें हमारे हाल पर छोड़ दे।” एक अघोरी ने आंखें खोलीं। बड़े से जटा जूट, त्रिपुण्ड, रुद्राक्ष की माला धारण किये यह साधु कुछ जाना-पहचाना लगा। ये आंखें वह नहीं भूल सकती थी।

“मैडम, चलिये यहां से। वे चरसी हिप्पी सब भाग गए हैं। इन लोगों को डिस्टर्ब करना ठीक नहीं।” कॉन्स्टेबल उसे वहां से ले गए। लेकिन शक्ति बार-बार मुड़कर उस अघोरी को देख रही थी। उसकी निगाहें भी उसी पर जमी हुई थीं।

शहर में विदेशी माफिया के आने की सुगबुगाहट थी। इंस्पेक्टर शक्ति को टिप मिली थी। शहर के नामी फाइव स्टार होटल में हाई प्रोफाइल एस्कॉर्ट के गेट अप में वह बार के आसपास मन्डराकर टोह ले रही थी कि तभी उसकी नज़र एक बारटेंडर पर पड़ी। ब्लॉन्ड डाई किये बाल, ब्लॉन्ड फ्रेंच कट दाढ़ी और नीली आंखें, लेकिन वही क़द-काठी। वही चेहरा-मोहरा। शक्ति चौंक गई।

वह काउंटर पर गई और बोली, “वन मार्टिनी प्लीज़।”

“श्योर मैम, जस्ट अ मिनट।” कहते हुए वह शक्ति को देखकर एक पल को चौंका। इतना काफ़ी था। वही आवाज़ और आंखों में पहचान की झलक।

“तुम कितने ही रूप बदल लो बहरूपिये, मुझे धोखा नहीं दे सकते। पहले लगा था तुम बस एक आवारा उचक्के हो, फिर अघोरी का स्वांग रचा, आज तो अंग्रेज़ ही बन गए या रशियन, यूरोपियन क्या बने हो, यहां बताओगे या जेल में?”

“शश्श… क्या हम अकेले में बात कर सकते हैं दो मिनट।”

शक्ति को अंदाज़ा नहीं था कि वह इतनी आसानी से मान जाएगा। वह तैयार हो गई। वह उसे पीछे आने का इशारा करते हुए लम्बे से कॉरिडोर में चलने लगा। शक्ति उसके पीछे-पीछे कॉरिडोर के आख़िर तक आ गई। वह पलटा और कहा, “आई एम वेरी सॉरी।”

“किस बात के लिये…” शक्ति की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि हथेली का तेज़ वार उसकी गर्दन की नस पर पड़ा और वह वहीं बेहोश हो गई।

आज वह चोट खाई नागिन की तरह फुफकार रही थी। कौन है यह रहस्यमयी आदमी। हर जगह कैसे मौजूद होता है। अब वह उसे जाने नहीं दे सकती थी। उसने अपनी पूरी टीम को काम पर लगा दिया था। उस एरिया में उस वक़्त एक्टिव मोबाइलों की लोकेशन, सीसीटीवी, वह कोई भी कसर नहीं उठा रखने वाली थी। पर वह जैसे हवा में ग़ायब हो गया था। कोई इंसान कैसे बिन डिजिटल फुटप्रिंट, बिन आइडेंटिटी ऐसे ग़ायब हो सकता है, रहस्य उलझता ही जा रहा था पर उसने तलाश बन्द नहीं की थी।

इसी बीच उसे अपने ख़बरी से दुबारा टिप मिली कि विदेशी माफिया डॉन आया हुआ है। इस बार वह छुट्टियों पर शहर से दूर एक शांत सुरम्य हिल स्टेशन पर थी। उसे जो लोकेशन को-ऑर्डिनेट मिले, वह उसके होटल के बिल्कुल पास के थे और वह डॉन कभी भी वापस जा सकता था। उसकी इन्फॉर्मेशन के मुताबिक़ दो ही लोग थे। उसने बैक अप तो बुला लिया था, पर इंतज़ार नहीं कर सकती थी।

सर्विस रिवॉल्वर लोड करके वह अकेले ही निकल पड़ी। इन्फॉर्मेशन बिल्कुल सही थी। विदेशी डॉन के साथ शहर का सफेदपोश इंड्रस्टियलिस्ट भी था, दोनों के साथ एक-एक हथियारबंद बॉडीगार्ड और एक सेक्रेटरी था। पर यह क्या, यह तो वही है, शक्ति पहचान गई। लेकिन इससे पहले कि वह आगे का कुछ सोच पाती, उसकी कनपटी पर गन तानी जा चुकी थी। कब पीछे से एक और बॉडीगार्ड उसे होस्टेज ले चुका था, उसे पता ही नहीं लगा।

दोनों की नज़रें मिली, उसने नज़रें चुरा लीं तो शक्ति कटाक्ष से मुस्कुराई।

“सर यह लड़की यहां ताक-झांक कर रही थी। जासूस है या रिपोर्टर, पता नहीं। इसे उड़ा दूं यहीं।”

“नहीं नहीं, यह इंस्पेक्टर शक्ति हैं। पुलिस वाली को मार दिया तो बहुत मुश्किल हो जाएगी। इनसे हम बाद में, आराम से डील कर लेंगे, अभी हम हमारा काम कर लें।” उसने शक्ति को अपनी तरफ खींचते हुए कहा। शक्ति के दोनों हाथ उसने पीछे करके पकड़ लिए थे। पर उनमें एक सावधानी थी, एक नरमी थी, जैसे वह चाहता हो कि उसे चोट न पहुंचे। शक्ति ने चौंककर उसे देखा।

“नो वे शॉन, इसने हमें मिस्टर फिट्ज़वॉटर के साथ देख लिया है। हम रिस्क नहीं ले सकते। इसे मरना ही होगा।”

इतना सुनते ही सामने खड़े बॉडीगार्ड ने फिर उस पर गन तान दी लेकिन इससे पहले कि ट्रिगर दबा पाता, शॉन की गोली उसके माथे के पार हो गई। चौकस चौकन्ने विदेशी माफिया के गार्ड ने तुरन्त अपनी गन फ़ायर कर दी। शॉन ने शक्ति की ढाल बनकर उसको अपने पीछे कर दिया और उसे नीचे लिटा दिया। दो गोलियां उसकी पीठ में धंसते हुए साइड से निकल गईं और दो कमर में लगीं। लेकिन इतनी देर में शक्ति ने अपनी दूसरी गन से निशाना साधकर उस बॉडीगार्ड का काम तमाम कर दिया। दोनों थुलथुले, अधेड़ माफिया बॉस यह सब देखकर सकते में थे। शक्ति तब तक उन दोनों पर गन तान दी थी। बैक अप पहुंच चुका था। पूरी होटल पुलिस से भर गई थी। शॉन बेहोश था। आनन-फानन में एम्बुलेंस आई, शक्ति उसके साथ ही हॉस्पिटल गई।

दो घण्टे से उसकी सर्जरी चल रही थी। कोई वाइटल ऑर्गन डैमेज नहीं हुआ था लेकिन ख़ून बहुत बह चुका था। शक्ति सहित दूसरे पुलिस वालों ने भी ब्लड डोनेट किया था।

तभी स्पेशल ब्रांच के ऑफिसर हॉस्पिटल आए। उन्होंने सबको बताया कि शॉन दरअस्ल इंस्पेक्टर शिव हैं, नार्कोटिक्स डिपार्टमेंट से, जो पिछले दो साल से अंडर कवर थे, शहर में बेतहाशा बढ़ रहे ड्रग सप्लाय की तह में जाने के लिये। हमको ख़बर मिली थी कि पुलिस डिपार्टमेंट में भी माफिया के ख़बरी बैठे हैं इसलिये बस चुनिंदा टॉप ऑफिसर्स यह बात जानते थे।

शिव आईसीयू में बेहोश था। अनजाने में ही सही, उसकी इस हालत के लिये शक्ति भी ज़िम्मेदार थी। अगर उसकी जान न बचाई होती, तो वह आज सेफ होता। उसकी आंखें भीग-भीग जा रही थीं। न जाने कितनी मन्नतें वह मांग चुकी थी। न जाने कितनी प्रार्थनाएं कर चुकी थी। तीन दिन से वह उसके पास से हिली भी नहीं थी।

“अब चाहो तो हाथ छोड़ सकती हो, कहीं नहीं जा रहा मैं।” सुबह के पांच बजे थे। शक्ति उसके हाथ पर सिर रखे बिल्ली की तरह गड्डमड्ड होकर सो रही थी। शिव ने आंखें खोलीं और धीरे से बोला। उसकी आवाज़ में दर्द और कमज़ोरी के बावजूद वह आवाज़ शक्ति के कानों को दुनिया की सबसे मीठी आवाज़ लग रही थी।

“आई एम सो सो सॉरी सर। मेरी वजह से…” वह रो ही पड़ी थी।

“सर नहीं शिव। और सॉरी की कोई बात नहीं। तुम बस अपनी ड्यूटी कर रही थीं। हम दोनों एक जैसे हैं। अपने फ़र्ज़ को लेकर जुनूनी, पागल। ये ड्रग माफिया हमारी यूथ को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। पिछले 4 साल से मैं इस केस पर था। हमेशा छोटी मछलियां पकड़ी जाती थीं, बड़े मगरमच्छ सेफ रहते थे। उस पान की गुमटी पर ड्रग्स मिलती थीं, इसलिये लड़कों की भीड़ इतनी बढ़ गई थी। पहले मैं उनमें घुला-मिला। इस सप्लाई चैन की तह तक पहुंचने के लिये मुझे जहां-जहां जो भेष धरने पड़े, मैंने किया। तुमको टिप देने वाला दरअस्ल इस माफिया डॉन के दुश्मन दूसरे माफिया का ख़बरी है, जो पुलिस के ज़रिए अपने दुश्मन को रास्ते से हटाना चाहता था। लेकिन मैं उसको ट्रेक करके उस तक भी पहुंच गया। हमें पता था, हमारे डिपार्टमेंट में ही घर के भेदी छिपे हैं इसलिये मैं चाहकर भी ख़ुद को तुम्हारे सामने नहीं एक्सपोज़ कर सका और होटल में तुम्हें बेहोश करना पड़ा। मुझे मुआफ़ कर देना।”

“नहीं प्लीज़ ऐसा मत कहिये। आपने मेरी जान बचाई है, अगर आपको कुछ हो जाता तो मैं….”

“शक्ति के होते शिव को और शिव के होते शक्ति को कुछ हो सकता है क्या। हमें मिलकर युवाओं को बर्बाद करने वाले इन राक्षसों की छातियों पर ताण्डव करना है। यह रोना-धोना बन्द करो। मुझे तुम अपने प्रचण्डिका अवतार में ही पसन्द हो।” शिव ने नरमी से उसके आंसू पोंछे।

“लो भैया, चंद्रमा के बाद एक शिव-शक्ति पॉइंट हमारे यहां भी बन गया। कॉन्स्टेबल राधा ने अंदर आते हुए कहा तो शक्ति नज़रें झुकाकर बाहर चली गई। आईसीयू में भीड़ लगाना सही नहीं था और पूरा स्टाफ शिव के लिये गुलदस्ते लाया था।

“हाय पहली बार मैडम को शरमाते, लजाते देखा है।” कॉन्स्टेबल भुवन कब पीछे रहने वाला था।

“इनको देखकर लगता है, वाकई जोड़ियां स्वर्ग से बनकर आती हैं।”

पूरा स्टाफ उनके ही चर्चे कर रहा था और शक्ति बस अपने शिव के जल्दी से स्वस्थ हो जाने की प्रार्थना कर रही थी।

-नाज़िया खान

E-इश्क के लिए अपनी कहानी इस आईडी पर भेजें: db।women@dbcorp।in

सब्जेक्ट लाइन में E-इश्क लिखना न भूलें

कृपया अप्रकाशित रचनाएं ही भेजें

खबरें और भी हैं…

#Shiv #ICU #Shakti #responsible #life #saved #safe #लव #पइट #शव #आईसय #म #थ #इसक #लए #शकत #भ #ज़ममदर #थ #अगर #उसक #जन #न #बचई #हत #त #वह #सफ #हत