Sapinda marriage is not legal among Hindus | हिंदुओं में सपिण्ड विवाह लीगल नहीं: मां की ओर से 3 पीढ़ी, पिता की ओर से 5 पीढ़ी में शादी नहीं ; जानें कानून

नई दिल्ली19 मिनट पहले

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हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 (v) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

याचिका एक महिला ने दाखिल की थी जिसमें उसने इस धारा पर सवाल उठाए थे। महिला की शादी हिंदू रीति-रिवाजों से हुई थी। वह पति के साथ कई वर्षों तक रही।

बाद में पता चला कि पति दूर की रिश्तेदारी में चचेरा भाई लगता था। जब मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने इस विवाह को अवैध घोषित कर दिया।

दरअसल, हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) 1955 हिंदुओं के बीच सपिण्ड विवाह की अनुमति नहीं देता। सपिण्ड विवाह को मान्यता नहीं मिलती।

आज का ‘टेकअवे’ हिंदू मैरिज एक्ट पर।

हिंदू मैरिज एक्ट में कई तरह के प्रोविजन बनाए गए हैं। हालांकि हिंदू धर्म के अंदर रहते हुए भी किसी खास समुदाय पर ये लागू नहीं होता।

हिंदुओं में विवाह में अग्नि के 7 फेरे लिए जाते हैं। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्ट्रार विवाह का रजिस्ट्रेशन करता है। वहीं तलाक के लिए कई शर्तें होती हैं।

केवल भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों में ब्लड रिलेशन और अपने पूर्वजों के रिश्ते में शादी की मनाही है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में ये कानून है।

ग्रैफिक्स-सत्यम परिडा

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