Peppermint oil improves digestion power | पुदीना का तेल पाचन शक्ति सुधारे: सिरदर्द मिटाए, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करे, तनाव दूर भगाए, कूल बनाए; ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल न करें

8 दिन पहलेलेखक: मरजिया जाफर

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पुदीने का तेल का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। यह सेहत के लिए फायदेमंद है। हालांकि, लेकिन ज्यादातर लोग पिपरमेंट के तेल के फायदे से अनजान हैं। ‘जान जाहान’ में आयुर्वेदाचार्य डॉ. सिद्धार्थ सिंह से जानिए पिपरमिंट ऑयल के फायदे के बारे में।

पुदीना का तेल क्‍या है

पुदीने का तेल पुदीना की पत्तियों से बनाया जाता है। यह वाटरमिंट और स्पीयरमिंट पुदीना के इन दोनों किस्मों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें मेंथॉल की अधिक मात्रा होती है। हल्का पीला और पानी की तरह दिखने वाले पुदीने के तेल का इस्तेमाल कई चीजों के लिए किया जाता है।

पुदीने का तेल पाचन शक्ति बेहतर करे

पुदीना तेल को पाचन शक्ति बेहतर करने में कारगर माना गया है। इसका कई तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं। पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कि पेट दर्द की समस्या, पेट फूलना, दस्त की परेशानी, अपच, मतली और उल्टी के लिए उपयोग किया जाता है। साथ ही यह एंटीस्पास्मोडिक यानी ऐंठन को कम करने वाला गुण के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो गैस और ऐंठन को कम करने में मदद कर सकता है। पुदीना पाचन शक्ति में सुधार करने के लिए सबसे पुरानी और उपयोगी जड़ी-बूटियों में से एक माना गया है।

सांस की परेशानी में फायदेमंद

पुदीने का तेल बंद नाक को खोलकर बेहतर तरीके से सांस लेने में मदद करता है। यह फेंफडों को हेल्दी रखने में सहायक हो सकता है। साथ ही यह लंग्स में हवा के फ्लो को बेहतर कर सकता है। यह फेफड़ों में ऑक्सीजन लेने की क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही, पुदीने के तेल का इस्तेमाल करने से श्वसन तंत्र की मांसपेशियां मजबूत बन सकती है। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल इन्हेलर और जुखाम की दवाइयों में भी किया जा सकता है।

सिरदर्द कम करे

सिरदर्द को कम करने में पुदीने का तेल मददगार हो सकता है। इसके प्रभावों को सिरदर्द के लिए बनी एलोपैथिक दवाइयों असरदार माना गया है।

ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाए

ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में पिपरमेंट के तेल के फायदे देखे जा सकते हैं। पेपरमिंट तेल स्किन पर लगाने से यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में मदद कर सकता है। यह आसानी से त्वचा में अवशोषित होकर ब्लड फ्लो को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

ओरल हेल्थ में फायदेमंद

ओरल हेल्थ को बेहतर रखने के लिए पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल फादेमंद है। पुदीना के तेल में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण होते हैं, जो मुंह में इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं। सांसों की दुर्गंध से बचाव करके मुंह में ताजगी बनाए रखने का काम करते हैं।

पुदीना का तेल तनाव दूर भगाए, कूल बनाए

पुदीने का तेल थकान या काम के वजह से हो रहे तनाव और दर्द से राहत दिलाने में भी मददगार साबित हो सकता है। माना जाता है कि पेपरमिंट ऑयल व्यक्ति के सेंट्रल नवर्स सिस्टम पर पॉजिटिव असर डालकर तनाव और थकान के दर्द से आराम दिला सकता है। इनके लिए पेपरमिंट ऑयल की अरोमाथेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, पेपरमिंट ऑयल में एंटीस्पास्मोडिक यानी ऐंठन को कम करने वाला असर पाया जाता है जो दर्द और ऐंठन से राहत दिलाता है।

साइनस के लिए पिपरमिंट ऑयल

साइनस में होने वाली सूजन को साइनसाइटिस कहा जाता है। यह इंफेक्शन के कारण होता है। इसमें बंद नाक, बुखार, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ होती हैं। पुदीने का तेल बंद नाक के लिए इस्तेमाल करते है। वहीं, बंद नाक साइनस के लक्षणों में से एक है।

मसल्स स्ट्रॉग बनाए

पुदीना के तेल का इस्तेमाल मसल्स को आराम दिलाने और थकान को कम करने में फायदेमंद है। पुदीना में एंटी-स्पास्मोडिक और दर्दनिवारक गुण होते हैं, जो मसल्स की ऐंठन और दर्द को दूर कर सकते हैं । पेपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदें प्रभावित हिस्सों पर लगाकर हल्के हाथों से मसाज करें अराम मिलेगा।

मतली से आराम

पुदीना के तेल की अरोमाथेरेपी लेने से मतली से आराम मिल सकता है । यहां, इसमें मौजूद एंटी-एमेटिक गुण उल्टी और मतली को कम करने वाला प्रभाव को कम कर बेहतर महसूस कराने में मददगार हो सकता है ।

एलर्जी और संक्रमण से बचाव

पुदीना के तेल का इस्तेमाल कई तरह की एलर्जी और इंफेक्शन से आराम दिलाने में फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद मेंथॉल, एलर्जी पर असरदार होती है। पेपरमिंट ऑयल में एंटी-माइक्रोबियल, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो इंफेक्शन फैलाने वाले बैक्टीरिया और फंगस से बचाव करते हैं।

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम

इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम एक ऐसी परेशानी है जो बड़ी आंत पर गलत असर डालती है। इस दौरान व्यक्ति के पेट में ऐंठन, सूजन, दस्त व कब्ज की शिकायत हो सकती है। पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षणों से राहत दिलाता है।

त्वचा में जलन और खुजली

खुजली की समस्या से राहत पाने के लिए स्किन पर पेपरमिंट ऑयल लगा सकते है। पेपरमिंट ऑयल में मौजूद मेंथॉल स्किन को ठंडक पहुंचा सकता है, इसके अलावा, प्रभावित हिस्से पर इसे लगाने से जलन और खुजली को कम किया जा सकता है।

घाव भरने के लिए

पेपरमिंट ऑयल से तैयार किए गए मलहम को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है। इसमें मौजूद एंटी माइक्रोबियल, एंटी वायरल, एंटी फंगल गुण लाभकारी होते हैं।

उल्टी से राहत

प्रेग्नेंसी में जी मिचलाना और उल्टी होना नॉर्मल है। इससे राहत पाने के लिए इलाज के तौर पर अरोमाथेरेपी का इस्तेमाल किया जा सकता है। पेपरमिंट ऑयल को सूंघने से गर्भावस्था प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली मतली और उल्टी की दिक्कत खत्म हो सकती है।

एंटी-माइक्रोबियल गुण

एंटी-माइक्रोबियल यानी बैक्टीरिया से बचाने वाले गुणों से भरपूर पुदीना के तेल में मौजूद मेंथॉल में भी यह असर होता है। ऐसे में यह शरीर को किसी भी तरह के बैक्टीरिया से बचाने में मदद कर सकते हैं। इतना ही नहीं इसके इश्केमाल से फंगस से बचा जा सकता है।

स्किन हेल्थी बनाए

पेपरमिंट ऑयल ड्राई स्किन को ठीक करने में मददगार हो सकती है। लेकिन स्किन की फटने की हल्की-फुल्की समस्या में पेपरमिंट ऑयल युक्त क्रीम या लोशन का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं, संवेदनशील स्किन या फिर जो लोग पहली बार स्किन पर पेपरमिंट ऑयल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो वो लोग एक बार पैच टेस्ट जरूरत कर लें।

पुदीना के तेल में छिपे है सेहत के राज।

पुदीना के तेल में छिपे है सेहत के राज।

पुदीना के तेल का उपयोग

डिफ्यूजर में कुछ बूंदें डालकर अरोमाथेरेपी ले सकते हैं।

मसाज के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

फेस पैक में इस्तेमाल किया जा सकता है।

हेयर मास्क में भी उपयोग किया जा सकता है।

मॉइस्चराइजर में मिलाकर लगाया जा सकता है।

पुदीने के तेल के नुकसान

जहां एक तरफ पुदीना का तेल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है, वहीं इसके अधिक उपयोग से कुछ नुकसान भी झेलने पड़ सकते हैं। पुदीना के तेल का उपयोग अगर सही और सीमित मात्रा में न किया जाए, तो उससे नीचे बताए गए नुकसान हो सकते हैं

  • गैस की समस्या
  • मतली और उल्टी
  • शरीर में कंपन
  • अवसाद
  • लिवर में समस्या
  • सांस लेने में तकलीफ
  • पेट दर्द
  • दस्त की समस्या
  • मूत्र में रक्त आना
  • चक्कर आना
  • बेहोशी
  • शरीर का संतुलन बनाए रखने में समस्य
  • विषाक्त प्रभाव

जानकारों की माने तो बच्चों को खसतौर पर 7 साल से कम उम्र के बच्चों को इसका उपयोग न कराएं।

डॉक्टरों के अनुसार गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पुदीने के तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। वहीं, गर्भवती मतली के लिए पुदीने के तेल का डिफ्यूजर या अरोमा थेरेपी लेने से पहले डॉक्टरी सलाह जरूर लें।

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