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नई दिल्ली8 घंटे पहलेलेखक: ऐश्वर्या शर्मा
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मेकअप ख़ूबसूरती को उस ड्रीम वर्ल्ड से जोड़ता है जहां स्त्री के प्यार का रिश्ता बसता है जिसका सीधा असर रिश्ते में रोमांस, गर्माहट और ग्लैमर भरता है। अपने रिश्ते को हसीन बनाने के लिए स्त्री अपना यह एक्स्ट्रा कदम अपना हक समझती है।
इसीलिए कंपनियां सुबह 9 से रात 10 बजे तक टिकने वाले नित नए ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने लगी हैं, जो चमकती धूप में, बादल में, बरसात में, बर्फबारी में, सुबह से लेकर शाम तक खूबसूरती को चेहरे पर टिकाए रखते हैं।
4-5 साल पहले तक कोई नहीं मानता था कि मेकअप की मदद से चेहरे का लुक करेक्शन रिश्ते को कैसे प्रभावित कर सकता है। उस समय पति यह शिकायत करते दिखते थे कि, ‘श्रीमती जी को तैयार होने में घंटों लगते हैं’। आज वही वे ये कहते नजर आते हैं, ‘तुम्हें तैयार होने में कितना समय लगेगा?’ या ‘तुम कब तक तैयार हो जाओगी?’
यही वजह है कि वैलेंटाइन वीक में स्त्री को खुश करने के लिए बाजार भी बंपर डिस्काउंट परोसता है जहां नए ऑफर , फ्लैट सेल्स, फ्री गिफ्टस की बारिश होती नजर आती है।
सोचकर देखिए अगर ख़ूबसूरती रिश्ते पर हावी नहीं होती तो क्या वैलेंटाइन वीक में ब्यूटी पारलर्स में लड़कियों और महिलाओं की इस कदर भीड़ देखने को मिलती और ब्यूटी सेल का बाजार इस हद तक गरम रहता?
यह बाजार दो तरह से काम करता है, स्त्री को गुड लुक देता है, उसे खुश रखता है, उसकी मेंटल हेल्थ को पॉजिटिव बनाता है और रिश्ता सुखद राह पर चलता।
जब मूड रोमांटिक हो, दिल इश्क में डूबा हो और मन खुश हो तब सजने संवरने से दिल और दिमाग को सुकून मिलता है।
दरअसल गुड लुक्स का कायल हर कोई है लेकिन जब इंसान खुद को खूबसूरत समझता है तो उनकी पर्सनैलिटी में अलग ही कॉन्फिडेंस देखने को मिलता है जो उसे मानसिक रूप से सेहतमंद बनाता है।
ब्यूटी ट्रीटमेंट और मेकअप का संबंध सीधे मेंटल हेल्थ से है। जिस दिन लड़कियां और महिलाएं थ्रेडिंग, फेशियल या पेडिक्योर करा लेती हैं, उस दिन उनका आत्मविश्वास आसमान छूता है। लेकिन अगर बालों की ग्रोथ ज्यादा हो और थ्रेडिंग या वेक्सिंग न की गई हो तो लड़कियां घर से बाहर निकलना भी पसंद नहीं करतीं।
लुक्स को इग्नोर करने की वजह से मूड अलग खराब होता है। कई बार यह तनाव और एंग्जाइटी का कारण भी बनता है। इसका असर उनकी रिलेशनशिप और उनकी हेल्थ पर पड़ता है। क्योंकि अक्सर हम ये भूल जाते हैं कि ब्यूटी ट्रीटमेंट और रिलेशनशिप दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
कॉस्मेटिक और ब्यूटी ट्रीटमेंट कैसे सुधारते हैं आपका रिश्ता और आपकी मेंटल हेल्थ?
लिपस्टिक इफेक्ट से चमकता चेहरा
अमेरिका के मशहूर अरबपति लियोनार्ड लाउडर ने एक इंटरव्यू में लिपस्टिक इफेक्ट का जिक्र किया था। उनके अनुसार आर्थिक मंदी आई हो या महामारी, महिलाएं ने कभी लिपस्टिक लगाना नहीं छोड़ा।
इसका कारण है लग्जरी। बुरे वक्त में भी कम दाम की लिपस्टिक ने महिलाओं को अच्छा महसूस कराया और उन्हें खुशी से शॉपिंग करने का मौका दिया। इस छोटे से मेकअप प्रोडक्ट ने उनके लिप्स को अलग-अलग शेड्स में रंगकर चेहरे की रौनक बदल दी।
लिपस्टिक लगाना खुद को एक तोहफा देने जैसा है जो महिलाओं को स्ट्रेस और निगेटिविटी से दूर रखता है।
मनोचिकित्सक राजीव मेहता कहते हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट ट्रीटमेंट या मेकअप एक तरह की थेरेपी है जो इंसान को अच्छा महसूस करवाती है।
इसीलिए सेल्फकेयर के इस समय को स्त्री अपना ‘मी टाइम’ मानती है। दरअसल, इंसान तारीफ चाहता है। अगर वह यह सब चीजें करके दूसरों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है और तारीफ बटोरता है तो इसमें बुरा क्या है?
क्रिएटिविटी से कम नहीं मेकअप
जिस तरह एक आर्टिस्ट अपनी पेंटिंग को खूबसूरत बनाने के लिए कैनवास पर रंगों से खेलता है, इसी तरह एक महिला अपने चेहरे को सुंदर बनाने के लिए कलरफुल कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करती है।
मेकअप भी एक तरह का आर्ट है जो मेंटल हेल्थ को अच्छा रखता है। एक स्टडी में सामने आया कि मेकअप करने वाली महिलाएं तनाव से दूर रहती हैं। इटली की University of Chieti की स्टडी में पाया गया कि मेकअप महिलाओं के कॉन्फिडेंस बढ़ाता है।
दरअसल मेकअप करने से बॉडी में डोपामाइन नाम का हैपी हॉर्मोन रिलीज होता है जो मूड को पॉजिटिव रखता है और महिलाएं खुश रहती हैं।
स्टडी में यह भी कहा गया कि हर मेकअप शेड का महिलाओं पर अलग असर होता है। जो महिलाएं बोल्ड मेकअप करती हैं, वह आत्मविश्वास से तो भी भरी होती ही हैं, लोग उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाते और उनकी बात भी ध्यान से सुनते हैं। स्त्री का यही आत्मविश्वास और बोल्ड लुक पुरुष को भाता है।
ब्यूटी ट्रीटमेंट देते खुशी
मेकअप के अलावा एक साधारण सी थ्रेडिंग भी चेहरे का लुक बदल देती है। जब भी चेहरे पर कोई ब्यूटी ट्रीटमेंट होता है या मेकअप अप्लाई किया जाता है तो डोपामाइन के साथ ही ऑक्सिटॉक्सिन नाम का हॉर्मोन भी रिलीज होता है।
इससे cuddle हॉर्मोन भी कहते हैं जो दिमाग को टेंशन फ्री होने का सिग्नल देता है। इसलिए हमेशा फेशियल, मसाज या पेडिक्योर के बाद खुशी और सुकून मिलता है।
ओवरथिंकिंग होती दूर
अधिकतर मामलों में एंग्जाइटी तभी होती है जब व्यक्ति हद से ज्यादा सोचने लगता है। अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन की स्टडी में पाया गया कि हर दिन व्यक्ति 12 हजार से 60 हजार ख्याल अपने मन में लाता है जिनमें से 80% ख्याल निगेटिव होते हैं। लेकिन जब ब्यूटी ट्रीटमेंट या मेकअप किया जाए तो यह ख्याल परेशान नहीं करते।
इंसान जरूरत से ज्यादा सोचने से बचता है और एंग्जाइटी व डिप्रेशन का कभी शिकार नहीं होता। मेकअप खुद की केयर और खुद को अभिव्यक्त करने का सबसे अच्छा जरिया है।
रिश्ते में सबसे ज्यादा ओवरथिंकिंग होती है। स्ट्रेस में रहने पर दूसरे की कही बात बुरी लगती हैं और हम बाल की खाल निकालते हैं जो रिलेशनशिप पर बुरा असर डालता है। ब्यूटी ट्रीटमेंट रिलेशनशिप में ‘कूलेंट’ का काम करता है। कुलेंट यानी रिश्ते में नाराजगी को खुशमिजाजी में बदल दे।
मेडिटेशन है स्किन केयर
मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए जैसे योग काम करता है, ठीक उसी तरह स्किन केयर भी काम करती है। स्किन केयर ट्रीटमेंट एक तरह का मेडिटेशन है।
जब भी महिलाएं अपनी स्किन पर कुछ लगाती हैं तो उनके निगेटिव इमोशन दूर होने लगते हैं और स्किन मुलायम और चमकदार दिखती है तो वह मानसिक तौर पर राहत महूसस करती हैं क्योंकि बॉडी से स्ट्रेस हॉर्मोन कॉर्टिसोल कम होता है और चेहरा चमकने लगता है।
2017 में ब्रिटेन की रिसर्च में सामने आया कि जो महिलाएं टोनिंग, क्लींजिंग और मॉइश्चराइजिंग पर 30 मिनट लगाती हैं, वह मेंटल डिसऑर्डर का शिकार कभी नहीं बनतीं।
खुशबू से मूड होता बूस्ट
मनोचिकित्सक प्रियंका श्रीवास्तव कहती हैं कि खुशबू मात्र खुशबू नहीं, एक याद होती है। खुशबू परफ्यूम की हो, क्रीम की हो या लोशन की, हमेशा हैपी मूड को उछाल देती है जिससे इंसान खुशमिजाज बनाता है।
दरअसल, परफ्यूम की अच्छी महक से दिमाग में ऑलफैक्ट्री कॉर्सेक्स प्रभावित होती है जो इमोशन और मेमोरी को रेगुलेट करती है जो किसी भी रिलेशनशिप को पॉजिटिव दिशा में ले जाती है।
फ्रेग्रेंस मूड स्विंग की दिक्कत को दूर करती हैं और इंसान को चिड़चिड़ा होने से बचाती हैं। ये माइग्रेन की समस्या भी दूर करती हैं।
जापान में नींबू से बनी फ्रेग्नेंस पर शोध किया गया और पाया गया कि इससे 54% लोगों की प्रोडक्टिविटी बढ़ी। लेमन यानी नींबू से दिमाग में norepinephrine नाम के केमिकल का स्तर बढ़ता है जिससे इंसान मोटिवेट होता है और उसकी फैसले लेने की शक्ति बढ़ती है। तो अच्छा परफ्यूम लगाएं और महके।
ब्लड प्रेशर के नहीं बनते मरीज
ब्यूटी से जुड़े ट्रीटमेंट हो या कॉस्मेटिक, जब बॉडी पर इन्हें लगाया जाता है तो वह अधिकतर मसाज के रूप में इस्तेमाल होते हैं। इससे बॉडी के एक्यूप्रेशर पॉइंट पर असर पड़ता है जिससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है।
जब ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है तो चेहरे पर तो चमक आती ही है, ब्लड प्रेशर की समस्या भी नहीं होती। इसका दूसरा कारण यह भी है कि जब एंग्जाइटी नहीं होती तो व्यक्ति गुस्सा भी नहीं करता, इससे भी बीपी कंट्रोल में रहता है।
ये सारी चीजें रिलेशनशिप पर भी असर डालती हैं। ब्यूटी ट्रीटमेंट्स चूंकि शरीर और दिमाग को तनाव रहित बनाते हैं तो इसका असर रिश्ते पर भी पड़ता है।
ग्राफिक्स: सत्यम परिडा
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