If you don’t want to take risk then quickly say I love you, I will leave you immediately. | अरे…कोई देख लेगा: अगर रिस्क नहीं लेना चाहती तो जल्दी से आई लव यू बोल दो, तुरंत छोड़ दूंगा

2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

आज तुहिना को एहसास हो गया है कि वो राहुल से प्यार करती है। उसे चांद कुछ ज्यादा ही बड़ा लग रहा है। दादी की छोटी सी बगिया कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही है। और तो और मोंगरा भी आज रोज़ से कुछ ज्यादा ही महक रहा है।

कितना सुंदर आइडिया था। ‘जुदाई’ जब वो राहुल से दूर हुई तभी तो उसे एहसास हुआ। वो छोटी-छोटी सी बातें, वो उसका बात-बात पर ‘खादिम हाज़िर है’ बोलना, वो उसकी गाल पर आई लटें पीछे करते हुए टोकना– ‘आंखें खराब हो जाएंगी। क्यों कटाती हो ये शॉर्ट ‘फ्लिक्सेस?’ तुम लंबे बालों में ज्यादा खूबसूरत लगती हो।

वो मोड़ पर उसका जानबूझकर बाइक तेज़ कर देना ताकि तुहिना उसे कसकर पकड़ ले। और भी जाने कितनी बातें…कितनी तरह से राहुल प्यार का इज़हार कर चुका था पर वो थी कि उसे एहसास ही नहीं था। लेकिन जब इतने दिनों के लिए उससे अलग हुई तो एहसास हुआ कि वो तो ज़िंदगी बन चुका है।…इतने करीब से बचपन से जानती थी उसे कि लगता था उस जैसे दोस्त के साथ कभी रूमानी हो ही नहीं सकती है। पर शुक्रिया दादी का, जिनकी अनुभवी निगाहों ने सब कुछ पढ़ लिया और…

तभी बगल के कमरे से दादी और बाबा के झगड़ने की आवाज़ से तुहिना वर्तमान में लौटी। तुरंत उनके कमरे की ओर दौड़ी। वही पुराना दृश्य था। दादी-बाबा का झगड़ा। दादी की मनपसंद फिल्म चल रही थी। “देख तुहिना, मुझे न्यूज़ सुननी है। और तेरी दादी चैनल बदलने नहीं दे रही।” “पूछ इनसे कितनी न्यूज़ सुनेंगे ये? वही रोज़-रोज़ एक ही बात सुनाई जाती है। कौन जीतेगा कौन हारेगा। अरे हद होती है..” “और तुम्हारी पिक्चर हर बार बदल जाती है क्या?

तुहिना बेटा, हज़ार बार देख चुकी होंगी ये फिल्म..” “अरे फिल्म एंटरटेन्मेंट तो देती है। न्यूज़ तो टेंशन…” “बस!!!!” तुहिना रैफरी की तरह चिल्लाई। “चलिए बाबाजी मैं आपको पार्क में ले चलती हूं। तब तक दादी फिल्म देखेंगी और हां दादी, वहां से लौटकर बाबाजी न्यूज़ देखेंगे।” तुहिना के आदेश का दादी-बाबा ने अज्ञाकारी बच्चे की तरह पालन किया। वो पार्क में बाबा के साथ घूम रही थी पर उसके मन पर दादी की फिल्म चिपक गई थी।

सच में दादी कई बार देख चुकी हैं ये फिल्म जो तुहिना के अनुभवों के दायरे से बाहर की है। पर वो मास कम्युनिकेशन की स्टूडेंट है। अपने आसपास भले ही न देखा हो पर दुनिया की हर तरह समस्याओं से वाकिफ है वो। सच में बहुत अफसोस होता है ये जानकर कि दुनिया में ऐसे बच्चे भी हैं।

इतने स्वार्थी..इतने नाकारे..! एक तरफ उसके मम्मी-पापा और चाचू-चाची हैं..कितनी परवाह करते हैं दादी बाबा की। तभी तो हर दूसरे हफ्ते किसी न किसी का दादी-बाबा के पास आकर उनकी समस्याएं मिलजुलकर सुलझाने का नियम बनाया.. बाकी सब तो ठीक पर उनकी सबसे बड़ी समस्या बन चुका है दादी-बाबा का झगड़ा।

कभी-कभी तो उनकी आवाज़ें इतनी तेज़ हो जाती हैं कि पड़ोसी उन्हें फोन करके शिकायत करते हैं। पर तुहिना को सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात से होता है कि पापा बताते हैं दादी-बाबा एक सुलझे हुए दंपती और अभिभावक थे। पापा-चाचू ने कभी बचपन में उनके झगड़े नहीं देखे। फिर इधर कुछ सालो में क्या हो गया?

तभी राहुल का मैसेज आ गया। ‘मेरी याद आ रही है?’ तुहिना का मन तो हुआ कि अभी इज़हार कर दे पर नहीं इसमें कोई थ्रिल नहीं। ‘लौटकर बताऊंगी’ उसने बैक मैसेज कर दिया। तभी राहुल की जुदाई की मीठी सी टीस और दादी की फिल्म के दृश्य घुल-मिल गए, जिसमें बच्चे माता-पिता को अलग कर देते हैं और वो एक-दूसरे की याद में..एक वो दंपती थे, एक दूसरे पर जान छिड़कने वाले और एक दादी-बाबा हैं जिनके झगड़े से सब तंग आ चुके हैं। ‘आइडिया’ तभी तुहिना के दिमाग में एक आइडिया कौंध गया जिसे थोड़ी नानुकुर के बाद सबने मान लिया।

पापा ने दादी को मनाया – “गेस्ट रूम में एक्स्ट्रा टी.वी. है। आप उसमें बैठकर दिन भर टी.वी. देखिएगा। कोई मना नहीं करेगा। फिर दो महीने की तो बात है। कभी किसी के यहां जाकर रहने को तैयार न होने वाली दादी इस बात पर आसानी से मान गईं “अच्छा है, दो महीनो के लिए इनकी शकल नहीं देखनी पड़ेगी। न चैनल बदलने की किटकिट सुननी पड़ेगी।”

चाचू ने बाबा को मनाया। “सोसाइटी के अंदर पार्क है। आप चाहें तो सारा दिन वहां बैठें, कोई मना नहीं करेगा।” “अच्छा है, न दिन रात तुम्हारी दादी के फालतू के टी.वी. सीरियल की बकवास कानो में पड़ेगी न किटकिट!”

तुहिना दादी को लेकर अपने घर पहुंच गई। जैकी आकर बाबा को ले गया। पर तुहिना को कुछ सूना सा लगा। उसे लगा उसके आते ही राहुल आ धमकेगा पर.. तभी मोबाइल घुनघुनाया – ‘सॉरी तुहिना, बेंगलुरु से एक क्रैश कोर्स का इनविटेशन आया था। मैंने अप्लाई किया था बहुत पहले पर ये कोर्स बहुत महंगा था। अभी अचानक से डिस्काउंट सेशन का मैसेज आया। बस दो हफ्ते में हाज़िर होता हूं’ ‘दो हफ्ते?’ तुहिना को लगा चांद भी कुछ परेशान सा हो गया है। उस पर थोड़े से बादल मंडराने लगे थे।

“पोहे बनाए हैं? इसके बाबाजी को बहुत पसंद हैं।” दादी डाइनिंग टेबिल पर बैठते ही मम्मी से बोलीं। “अरे, मुझे लगा था आपको पसंद हैं। शुरू में जब मैं आपके पास थी तो जब भी पूछती थी कि क्या बनाऊं आप कहती थीं पोहे बना लो” “हां बेटा, पंद्रह की उम्र ब्याही थी। मां की सख्त हिदायत थी कि पति की पसंद का ध्यान रखना है तो आदत पड़ गई उन्हीं की पसंद बनाने की।” दादी के स्वर में ढेर सारे भाव थे। “कोई बात नहीं, अब आप अपनी पसंद बता दीजिए। मैं वही बना दिया करूंगी।” मम्मी मुस्कुराईं। “मेरी पसंद? दादी कहीं खो सी गईं। अब तो जो तेरे ससुरजी की पसंद ही मेरी पसंद बन गई है।”

“क्या बात है दादी आप कुछ परेशान सी हैं!” “दो दिन से जैकी का फोन नहीं आया बेटा। वो हालचाल बता देता है वो क्या कहते हैं तुम्हारी भाषा में हां, शॉट ऐंड क्रिस्प ढंग से” “कोई नहीं मैं फोन करके पूछ लेती हूं।…अभी उसका फोन नहीं लग रहा। कुछ देर बाद करती हूं” दादी परेशान हो गईं और तुहिना अपनी योजना कामयाब होत देख मुस्कुराई। पिछले कुछ दिनों से दादी की हर बात में बाबा का जिक्र आने लगा था।

चिंता तो खैर पहले ही दिन से थी। पर अब उनकी बातों से लगता था कि उन्हें याद आ रही है। कितनी क्यूट लव-स्टोरी थी उनकी। पंद्रह की दादी, सत्रह के बाबा, घर में बड़ों की निगाहों का, नियम कायदे कानूनों का पहरा, कैसे बाबा उनके आंसू सब से छिपकर पोछते थे जब दादी को डांट पड़ने से वो रोने लगती थीं। वो घर के कामों से थक जाएं तो कैसे बाबा सबकी नज़र से छिपकर कई काम कर दिया करते थे। कैसे उनका प्यार बढ़ा, कैसे बच्चे होने के बाद के संघर्ष मिलकर जिए, कैसे चुनौतियों का सामना मिलकर किया..

तभी जैकी का मैसेज घुनघुनाया ‘बाबाजी की तबीयत सच में खराब हो गई है। हम सब हॉस्पिटल में हैं। इसलिए किसी का फोन नहीं मिलेगा। यहां नेटवर्क नहीं है’

कुछ ही देर में सब घर आ गए। “मां, तत्काल में रिज़र्वेशन मिल गया है। मैं और आप रात की गाड़ी से..” “रात की गाड़ी..अभी बस से यों नहीं?” “अरे मां आप बस की जरनी नहीं कर पाएंगी और फिर सब हैं वहां। इतना अच्छा हॉस्पिटल, डॉक्टर..” “अरे इनका इलाज न किसी डॉक्टर के पास है न तेरे भाई के पास। सिर्फ मैं जानती हूं। ब्लड प्रेशर लो रहता है और शुगर हाई।

पर नमकीन नहीं खाएंगे और मिठाई दिख जाए तो चुराकर भी..तभी तो मैं हरदम टोकती रहती थी..मुझे अभी इसी वक्त जाना है इनके पास..” अब सब तुहिना को घूरने लगे। अगर बाबा को कुछ हो गया तो कैसे माफ करेंगे सब खुद को? तुहिना बिना अपराध खुद को अपराधी समझे दुखी थी। तभी जैकी का वीडियो कॉल आ गया। झपटकर उठाया। सामने बाबाजी थे।

सही सलामत – “अरे कुछ नहीं हुआ मुझे। पता नहीं ये बच्चे इतना डर क्यों जाते हैं। लो बीपी के कारण पार्क में चक्कर खाकर गिर पड़ा। अब छोटे और बहू तो ऑफिस में थे और बच्चे कॉलेज में। जाने सिक्योरिटी गाइड ने उन्हें क्या बताया कि छोटे ने एम्बुलेंस भेज दी और हॉस्पिटल पहुंच गए सब। खाम्खा इतने इंजेक्शन ठुक गए और इतने पैसे स्वाहा कर दिए..” “गलती आपकी है। मैं हमेशा आपको पार्क भेजते समय नमक वाली चटनी और भुनी मूगफली आपके कुर्ते की जेब में डाल देती थी। आपने बहू को बताया ही नहीं होगा..” “ओफ..” “अच्छा ये बताइए कि आप यहां आ रहे हैं या मैं मम्मी को लेकर..” पापा ने टोका तो दोनों एक साथ बोल पड़े “मैं आऊंगा। वहां गेस्ट रूम में टीवी. देखेंगे साथ में।” “नहीं मैं आऊंगी, पार्क में आपके साथ चलूंगी पुरानी यादें ताज़ा करने के लिए”

दोनों की लड़ाई अब तुहिना के लिए सिर्फ ध्वनियां बनकर रह गई थीं क्योंकि राहुल सामने खड़ा था। दोनों की आंखें प्यार की गहराई के साथ एक दूसरे में खोती जा रहीं थीं। दरवाज़े पर खड़ी तुहिना को राहुल ने दूसरे कमरे में खींचकर बांहों में भर लिया। “अरे कोई देख लेगा” “कोई कमरे से निकलकर इधर नहीं आएगा। इस समय सब ओल्ड इज़ गोल्ड वाली लव-स्टोरी में बिज़ी हैं। फिर भी अगर रिस्क नहीं लेना चाहतीं तो जल्दी से आई लव यू बोल दो। तुरंत छोड़ दूंगा।”

-भावना प्रकाश

E-इश्क के लिए अपनी कहानी इस आईडी पर भेजें: db।women@dbcorp।in

सब्जेक्ट लाइन में E-इश्क लिखना न भूलें

कृपया अप्रकाशित रचनाएं ही भेजें

#dont #risk #quickly #love #leave #immediately #अरकई #दख #लग #अगर #रसक #नह #लन #चहत #त #जलद #स #आई #लव #य #बल #द #तरत #छड़ #दग