नई दिल्ली9 मिनट पहलेलेखक: मरजिया जाफर
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नमस्कार दोस्तों….
मैं नेहा गुप्ता उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से आती हूं। मेरे दो बच्चे हैं। मेरी कहानी फतेहपुर से दूर कानपुर में शुरू हुई। वहां मैं एक अस्पताल में बतौर नर्स का करती थी। जिंदगी बहुत खूबसूरत थी।
कानपुर में ही मेरी मुलाकात एक लड़के से हुई जिससे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगता था। वो मुझे अपना सा लगता। वो एक अच्छे परिवार से था।
उस लड़के को डिप्रेशन की बीमारी थी जिसके बारे में मुझे पता नहीं था। वो मुझे अपने परिवार से मिलाने ले गया। उसके परिवार ने कहा तुम लोग शादी कर लो। वो लड़का तलाकशुदा जो मैं जानती थी। मुझे लगा कब तक अकेले रहूंगी ये सब सोचकर मैंने उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
शादी के बाद पति की बीमारी का पता चला
हमने शादी कर ली। शादी के बाद जिंदगी पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई। शादी के तीन महीने बाद ही गुड न्यूज भी आ गई। हम बहुत खुश थे। जब मैं 6 महीने की प्रेग्नेंट थी तब मेरे पति की डिप्रेशन वाली बीमारी का सच मेरे सामने आया।
ये वो दौर ऐसा था जिसने मुझे हिलाकर रख दिया। जिसके बाद एक एक करके उसके सारे झूठ पर से पर्दा उठता गया। मुझे पता चला कि मेरा पति 16 साल की उम्र से ही डिप्रेशन की बीमारी से ग्रसित है और उसका इलाज इलेक्ट्रिक शॉक के जरिए हो चुका है।
बड़े बड़े अस्पतालों में उसका इलाज चल रहा था। मैं सब कुछ जानकर भी उसके हर झूठ को अनदेखा करती गई। सोचा अब तो बच्चा भी होने वाला है कहां जाऊंगी।
मुझे लगा बच्चा आ जाएगा तो सब ठीक हो जाएगा। लेकिन मैं गलत थी। जैसे तैसे करके जिंदगी के दो-तीन साल तो यूं ही निकल गए। वो दिन मेरे लिए किसी नर्क से कम नहीं थे। बेटी बड़ी हो रही थी। इनकम का कई सोर्स नहीं था। पति बीमार रहता तो कमाता भी नहीं। मैं एक एक पैसे के लिए को मोहताज हो गई।
पति को 8 साल में 4 बार डिप्रेशन के दौरे
4 साल बाद मेरे बेटे का जन्म हुआ। बेटा आने के बाद 7-8 महीन सब कुछ सही चलता रहा। मुझे भी लगने लगा था कि जिंदगी ट्रैक पर आ रही है।
लेकिन पति को अचानक से फिर दौरे पड़ने लगे। मेरी 8 साल की शादीशुदा जिंदगी में पति को 4 बार डिप्रेशन के दौरे पड़े। न मायके वालों ने साथ दिया न ससुराल वालों ने।
बीमार पति उस पर से पैसों की तंगी। क्या करती मैंने फैसला किया कि अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
तंग आकर ऑनलाइन सेलिंग का काम छोड़ा
मैंने मीशो एप पर रीसेलिंग का काम शुरू कर दिया जिससे मेरे घर का थोड़ा बहुत खर्च निकल आता। मेरे इस काम से पति को दिक्कत थी वो हमेशा मुझ पर शक करता।
मुझे कहता किससे बात करती हो, कहां के कस्टमर हैं। किस लड़के के साथ दिन भर मोबाइल पर लगी रहती हो।
मैंने पति की बात को इग्नोर करते हुआ अपना काम जारी रखा। लेकिन हर दिन हमारी इसी पर बहस होती। उसके दिमाग में शक की बीज पड़ चुका था जिससे तंग आकर मैंने ऑनलाइन सेलिंग का काम भी छोड़ दिया।
पति का शक गहराया
जिंदगी चलाने के लिए पैसे बहुत जरूरी हैं। मैं अकेली जान तो थी नहीं मुझे अपने बच्चों का भी पेट पालना था। इसलिए मैंने अपना सोने का नेकलेस जो मुझे मेरी सास ने दिया था उसे बेचकर एक कॉस्मेटिक की दुकान डाली। जिसका मुझे आज तक पछतावा है कि मैंने दुकान क्यों खोली।
6 महीने तक तो दुकान चली। लेकिन मैं माल लेने कानपुर जाती, वापसी में घर आते आते देर हो जाती। देर रात घर में आने से पति का शक मुझ पर गहराता गया कि माल लेने के बहाने मैं किससे मिलने जाती हूं?
पति कहता आशिक के साथ फिजिकल होती होगी
सुबह घर और बच्चों का सारा काम करके दुकान जाना। दिनभर कस्टमर से मोलभाव में बहस करना। वापस घर आकर फिर सारा काम करना।
मेरे ऊपर जिम्मेदारियों का इतना बोझ बढ़ गया कf मैं चिड़चिड़ी होती गई। उस पर से पति को रोज रात को फिजिकल होने की जिद करता। जब मैं मना कर देती तो हमारी लड़ाइयां होतीं।
उसने मेरे ऊपर गंदे गंदे आरोप लगाने शुरू कर दिए। कहता तुम्हारे आशिक हैं उनके साथ फिजिकल होती होगी। मैं पति के ताने सुन सुनकर बहुत परेशान हो गई।
मुझे ज़ालिम मां कहता
एक दिन मैंने गुस्से में आकर कह दिया मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती हूं। मैं तुमसे तलाक ले लूंगी। मैं हर रोज अपमान सह सह कर ऊब चुकी थी। मेरी भी इज्जत है। लोग सोचते हैं अकेली औरत क्या कर लेगी उसे तो जिंदगी काटनी ही काटनी है।
समाज क्या कहेगा, बच्चे बड़े होंगे तो उन्हें क्या जवाब दूंगी? लेकिन अब दौर बदल गया है औरत भी मजबूत होकर अपनी और अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा सकती है।
इसलिए मैंने पति का घर छोड़कर मायके जाने का फैसला किया। लेकिन पति ने बच्चों को मेरे साथ नहीं जाने दिया। जब मैं मां के घर चली गई तो वो घूम घूमकर सबसे कहता कैसी ज़ालिम मां है जो अपने छोटे छोटे बच्चों को छोड़कर चली गई।
पति बच्चों को अनाथ आश्रम में डालना चाहता था
एक दिन मेरे पास अनाथ आश्रम से इन्क्वायरी के लिए फोन आया कि आपके पति बच्चों को अनाथ आश्रम में डालना चाह रहे हैं। मुझे इतना गुस्सा आया कि मैंने पति से फोन करके कहा कि अगर बच्चों को पाल नहीं सकते तो मुझे दे दो। मेरे बच्चे अनाथ आश्रम में नहीं रहेंगे।
पति नहीं माना। मुझे मायके में रहते हुए एक महीने हो गए। पति ने सोशल मीडिया पर मुझे बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सोशल मीडिया पर मेरे बारे में लिखा गया कि मेरी पत्नी नेहा गुप्ता घर का सारा पैसा गहना लेकर एक लड़के के साथ फरार हो गई। वो अपने मायके में रहते हुए उस लड़के के साथ नाजायज संबंध बनाती है।
मोबाइल पर पाबंदी, बाहर निकले पर पहरा
ये सब पढ़कर मेरा दिल फट गया। मैं कैसे वापस उस घर चली जाती लेकिन भाई के समझाने पर मैंने उसे एक मौका और दिया।
पति ने भी वादा किया कि अब मैं इसे नहीं मारूंगा। शक नहीं करूंगा। कोई भी ऐसी हरकत नहीं होगी जो हम दोनों के रिश्तों को बिगाड़े।
पति की बातों पर भरोसा करके मैं घर वापस आ गई। लेकिन दूसरे ही दिन से वही पुरानी कहानी शुरू हो गई। मारपीट करना, शक करना। मोबाइल देखने पर पाबंदी। खाने पीने पर रोक।
घर से बाहर निकले पर पहरा। जो जिंदगी अब तक चल रही थी ये उससे भी कहीं ज्यादा बदतर हो गई।
प्राइवेट पार्ट पर घूंसा मारा
एक रात पति ने फिजिकल न होने की वजह मेरे प्राइवेट पार्ट पर घूंसा मारा कि मैंने कहा-अब बस। मैं फिजिकल क्यों नहीं होती उसके बारे में उसने एक बार भी जानने की कोशिश नहीं की।
मुझे पीसीओडी की दिक्कत थी। मेरी बच्चे दानी में भी गांठ थी। ये बात मेरा पति जानता था कि मैं इस परेशानी को दो साल से झेल रही हूं।
मैं इलाज के लिए कहती तो कहता मैं खुद बीमार हूं। मेरे पास पैसे नहीं हैं। जब मैंने अपना इलाज खुद करना शुरू किया तो उस पर भी पाबंदी लगा दी।
मेरी जिंदगी मेरे बच्चों के इर्द-गिर्द घूमती है।
मुझे बदचलन करार दिया
मैं मार खाकर इतना नहीं टूटी जितना कि उस वक्त टूट गई जब पति ने अपने दोस्तों के सामने कहने लगा कि मेरी बीवी मेरे साथ फिजिकल नहीं होती।
पति के दोस्त उसे राय देते कि उसका किसी के साथ चक्कर चल रहा है। यह बात रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों मैं फैला दी। मैंने फैसला कर लिया कि पति से ही पत्नी की इज्जत होती है और उसी ने मेरी इज्जत का सरे बाजार तार तार कर दिया तो ऐसे शख्स के साथ क्यों रहना। बर्दाश्त करने की सीमा खत्म हो गई थी।
मन में जिंदगी खत्म का ख्याल आया
पति का घर दोबारा छोड़कर फिर से मायके चली गई। लेकिन उसने थाने में मेरी गुमशुदगी की एफआईआर लिखाई। सोशल मीडिया पर मुझे गंदे गंदे मैसेज करता।
एक दिन सोचा क्यों न अपनी जिंदगी ही खत्म कर लूं। लेकिन अगले ही पल बच्चों का ख्याल आया। मुझे लगा ये मैं क्या करने जा रही हूं, कदम पीछे हटा लिए। मेरे सिवा मेरे बच्चों का कौन है। मैंने फैसला किया मैं जिंदा रहूंगी, पढ़ाई करूंगी, बच्चों के लिए पैसे कमाऊंगी उनका भविष्य बनाऊंगी। इसी सोच को लेकर आगे बढ़ रही हूं।
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