Aparajita was surprised when her neighbor, who did not talk to anyone, started staring at her every day. | कौन हो तुम: किसी से भी बात न करने वाला पड़ोसी जब रोज उसे घूरने लगा तो अपराजिता को हैरानी हुई

9 दिन पहले

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समय जरूर लगा उसे फ्लैट ढूंढने में, लेकिन बहुत अच्छी जगह टू बीएचके फ्लैट उसे मिल ही गया। दस मंजिला उस इमारत में उसका फ्लैट पांचवीं मंजिल पर था।

“लकी है कि इतनी पॉश कॉलोनी में शानदार फ्लैट मिल गया,” कंचन ने अपराजिता से कहा जो इस समय यह सोच रही थी कि घर को कैसे सजाया जाए।

“थैंक यू यार। यह सब तेरी वजह से हुआ वरना लंदन में बैठे हुए कहां संभव था बेंगलुरु में फ्लैट ढूंढ पाना। पापा तो कई बार मुंबई से यहां आए, लेकिन उन्हें मेरे मन मुताबिक घर नहीं मिला। और मुझे भी जल्दी थी घर ढूंढने की। लंदन में मन नहीं लग रहा था। यहां आईटी कंपनी में अच्छा ऑफर मिला तो देर नहीं की। तुरंत नौकरी ले ली। मैं इस बात से भी निश्चिंत थी कि तू यहीं रहती है तो बेंगलुरु में मुझे कोई दिक्कत नहीं होगी।”

“इतनी फॉर्मेलिटी किसलिए? माना कि तेरी बहन की ननद हूं, लेकिन हमारे बीच तो शुरू से ही दोस्ती का रिश्ता रहा है,” कंचन ने सामान रखने में उसकी मदद करते हुए कहा। “प्रॉपर्टी डीलर ने कहा है कि वह कोशिश करेगा कि तू यह फ्लैट खरीद पाए तब तक आराम से किराया पर रह।”

कुछ दिन लगे अपराजिता को पूरी तरह से सैटल होने में। नीचे दो फ्लैटों में रहने वाले परिवारों से उसका परिचय हो गया। एक में पाठक परिवार रहता था। पति इंजीनियर था और पत्नी टीचर। चार महीने पहले ही शादी हुई थी। दोनों बहुत ही मिलनसार थे। उनके सामने वाले फ्लैट में नायर परिवार रहता था। पति बैंक में काम करता था और पत्नी घर में बच्चों को संगीत सिखाती थीं। दो बच्चे थे और उनके दादा-दादी भी। अपराजिता को कभी डोसा, इडली खाने को मिल जाती थी।

लिफ्ट से आते-जाते वहां रहने वाले और लोगों से भी मुलाकात और मुस्कान का आदान-प्रदान हो जाता था। लेकिन उसके सामने वाले घर यानी फ्लैट नंबर 506 में कौन रहता है, यह उसे अब तक पता नहीं चला था। उसे हमेशा दरवाजा बंद दिखता। ऑटोमेटिक लॉक सिस्टम की वजह से ताला दरवाजे पर बाहर लटकाने का चलन तो कब का खत्म हो गया था, इसलिए पता ही नहीं चलता था कि कोई घर में है कि नहीं।

अपराजिता सोचती कम से कम सामने वाले फ्लैट में रहने वाले परिवार से तो जान-पहचान होना जरूरी है। वह अकेली रहती है, सहायता की जरूरत पड़ेगी तो उन्हें सबसे पहले बुला सकती है।

एक दिन अंजना पाठक ने बताया कि अकेला रहता है फ्लैट नंबर 506 वाला। “डाइवोर्सी है। मैंने भी उसे कभी नहीं देखा। न जाने कब आता है, कब जाता है। क्या करता है, यह भी नहीं पता। कई बार सोचती हूं कोई ‘इनविजिबल मैन’ तो इसमें नहीं रहता ‘मिस्टर इंडिया’ की तरह।” और वह खिलखिला कर हंस पड़ी थी।

अपराजिता इतने दिनों में यह तो जान गई थी कि अंजना एकदम मस्त रहने वाली महिला है। जिसकी बात-बात पर हंसने की आदत है। इतनी खुशमिजाज महिला से बात करके उसे भी बहुत मजा आता था। थी भी उसकी हमउम्र। “क्या बात कर रही हो अंजना तुम भी? कमाल हो, लेकिन तुम्हारी बात सुन अब तो उसे देखने की चाहत मेरे मन में भी उठ रही है।”

“ऐसे लोगों से जितना बचकर रहो उतना ही अच्छा है,” अंजना ने अपराजिता को आंख मारते हुए कहा। “अकेला, उस पर से डाइवोर्सी। तुम तो दूर ही रहना।”

अंजना की बात सुन अपराजिता को हंसी आ गई। उसके पास कौन सा समय है कि उस व्यक्ति के आने-जाने का टाइम टेबल बनाकर रखे। नई नौकरी में हजार तरह की चुनौतियां होती हैं अपने को साबित करने की। हालांकि जब भी वह घर से निकलती फ्लैट नंबर 506 के बंद दरवाजे पर उसकी नजर पड़ ही जाती। जब वापस लौटती तो भी उस फ्लैट की ओर देखती जरूर।

कहते हैं न कि उत्सुकता इंसान को अबूझ पहेली को सुलझाने को उकसाती है। आखिर ऐसा भी क्या है जो उस आदमी ने कभी जानने की कोशिश नहीं कि उसके सामने वाले फ्लैट में कौन रहने आया है। कम से कम उससे आकर मिल लेता। आखिर पड़ोसी धर्म भी तो कोई चीज होती है। लगता है एकदम खड़ूस है कोई। तभी शायद बीवी ने तलाक ले लिया होगा। अपराजिता को खुद पर हैरानी हो रही थी कि ऐसे ख्याल उसके मन में क्यों आ रहे हैं। उसे क्या मतलब… उस दिन तो वह अपने मन को समझा लेती, लेकिन फ्लैट नंबर 506 उसके लिए एक रहस्य बनता जा रहा था।

कई बार तो वह घर के अंदर दरवाजे के पास कान लगाकर खड़ी हो जाती कि कोई आहट हो तो दरवाजा खोलकर देखे।

उसे वहां रहते हुए दो महीने हो गए थे। ऑफिस में उस दिन पार्टी थी। कोई एक बजे वह घर लौटी। लिफ्ट से जब वह ऊपर आई तो उसे एहसास हुआ कि कोई सीढ़ियां चढ़ रहा है, बहुत दबे कदमों के साथ। अपराजिता अपने फ्लैट का दरवाजा खोलने लगी तो उसे ‘क्लिक’ की आवाज आई। वह पलटी। फ्लैट नंबर 506 का दरवाजा खुल रहा था।

जो व्यक्ति लिफ्ट की बजाय सीढ़ियां चढ़कर आया था, वही था। न चाहते हुए भी उसके मुंह से निकल गया “हेलो! पहली बार आपको देख रही हूं।”

हालांकि मन ही मन अपराजिता ने खुद को कोसा कि क्या जरूरत थी ऐसा करने की। पर अपनी उत्सुकता को शांत करने के लिए उसे ऐसा करना जरूरी लगा।

वह पलटा… कितना स्मार्ट और हीरो जैसा है। नेवी ब्लू कलर का सूट पहना हुआ था। उसने चेहरे पर अवसाद था, निराशा थी या थकान होगी शायद… जो भी हो। उससे कोई दो-चार साल बड़ा होगा। या बहुत से बहुत 35 साल का होगा। न लूला है, न लंगड़ा है, न बदसूरत, फिर क्यों छुपा रहता है? अपराजिता के अंदर सवालों का सैलाब उमड़ रहा था। वह चाहे जो सोचे, आज तो कुरेदेगी… यह अनजान व्यक्ति उसे चैन से नहीं रहने दे रहा। पड़ोसी है सवाल तो कर ही सकती है अपराजिता।

“हेलो!,” उसने धीमे स्वर में कहा।

‘गजब सेक्सी वॉइस है!’ अपराजिता तो जैसे उस पर मर-मिटने को तैयार हो गई थी।

वह उसे देख रहा था। बस देख रहा था… उसके चेहरे से हैरानी साफ झलक रही थी जैसे वह कोई भूत हो‌। फिर बिना कुछ कहे अंदर चला गया और दरवाजा बंद कर दिया। “बदतमीज, खडूस,” अपराजिता के मुंह से निकला।

लेकिन उसे खुद पर भी हैरानी हो रही थी एक नजर ही तो उसे देखा है और वह भी केवल इसलिए की जानना चाहती है कि आखिर यह है कौन और अपराजिता का दिल कह रहा है कि उस पर उसका दिल आ जाए। उसमें अवश्य ही जादुई शक्ति होगी। इनविजिबल मैन में ऐसी सुपर पावर होती हैं। फिर उसने फिल्मी अंदाज में सोचा उससे कोई पुराना रिश्ता तो नहीं है अपराजिता का।

हैरानी तो अपराजिता को तब हुई जब उसके बाद अक्सर वह आते-जाते दिखने लगा। कहता कुछ नहीं, बस उसे देखता और फ्लैट में चला जाता।

“मैं क्या कोई एग्जीबिशन में लगी पेंटिंग हूं जो मुझे ऐसे देखता है,” गुस्से से एक दिन उसने अंजना से कहा।

“तुम बेहद सुंदर हो किसी संगमरमर की मूर्ति की तरह। बस बेजान नहीं हो,” अंजना ने उसे छेड़ा। “क्या पता तुम्हारी कशिश उसे तुम्हारी ओर आने को मजबूर कर रही हो। दिल का मामला है यह और उसके बारे में कोई भी यकीन से कुछ नहीं कह सकता। इतने दिन से सबसे छिपकर रहा और अब उसने चांद देख लिया है।”

अंजना का मजाक एक तरफ और अपराजिता के दिल में होने वाली हलचल दूसरी तरफ। उसका मन उस आदमी से बात करने के लिए मचलता रहता।

एक शाम जब अपराजिता लौटी तो वह अपने फ्लैट का दरवाजा खोल रहा था। अचानक चाबी गिरी। चाबी उठाने के लिए वह नीचे झुका तो उसकी जेब में से उसका पर्स भी नीचे आ गिरा और उसमें रखा सामान फर्श पर बिखर गया। एक फोटो अपराजिता के पास तक आ गई। वह हैरान रह गई। अपराजिता को लगा जैसे वह आईना देख रही है।

“मेरी फोटो आपके पास कैसे?” उसने गुस्से से पूछा।

“ध्यान से देखिए। यह आप नहीं हैं। यह मेरी पत्नी की फोटो है जो मुझे छोड़ कर चली गई किसी दूसरे के लिए। उसकी फोटो हमेशा संभाल कर रखता हूं ताकि उसका धोखा मुझे याद रहे और मैं फिर किसी से प्यार न करूं,” यह कहकर उसने झटपट फोटो उठाई और फ्लैट में घुसकर दरवाजा बंद कर लिया।

– सुमन बाजपेयी

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