2 दिन पहले
- कॉपी लिंक
महिलाओं के प्राइवेट पार्ट की सफाई के लिए मार्केट में तरह तरह के वजाइनल या इंटीमेट वॉश उपलब्ध हैं। क्या ये वाकई वजाइनल एरिया की गहराई से सफाई करते हैं? प्राइवेट पार्ट की सफाई के लिए वजाइनल वॉश कितने कारगर हैं, इसके बारे में बता रही हैं हिंदुजा व वॉकहार्ट हॉस्पिटल, मुंबई की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सरिता नाइक।
क्या वजाइनल वॉश की जरूरत है?
इंटीमेट हेल्थ को लेकर महिलाओं की जागरूकता बढ़ी है। महिलाएं अब अपनी हेल्थ, फिटनेस और हाइजीन का पूरा ध्यान रखने लगी हैं। इसी कड़ी में कई महिलाएं प्राइवेट पार्ट को साफ रखने के लिए वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने लगी हैं। मार्केट में वजाइनल वॉश की अच्छी खासी रेंज उपलब्ध है जिसे महिलाएं इंटीमेट हेल्थ और हाइजीन का खयाल रखने के लिए इस्तेमाल करती हैं।
बेवजह सफाई बीमारियों का कारण
असल सवाल ये है कि क्या महिलाओं को वजाइनल वॉश की वाकई में जरूरत है? सच्चाई ये है कि वजाइना को सफाई की जरूरत नहीं होती, वो खुद अपनी सफाई करती है। वजाइना की बेवजह सफाई करना बीमारियों का कारण बन सकता है।
केमिकल बिगाड़ते पीएच बैलेंस
वजाइना का नेचुरल एसिडिक पीएच वजाइना की हिफाजत करता है और हानिकारक बैक्टीरिया के खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। वजाइनल या इंटीमेट वॉश में मौजूद केमिकल वजाइना का पीएच बैलेंस बिगाड़ सकते हैं। लंबे समय तक वजाइनल वॉश का इस्तेमाल करने से इंफेक्शन भी हो सकता है।
वजाइना की सफाई के तरीके
प्राइवेट पार्ट को क्लीन रखें, लेकिन इसके लिए वजाइनल वॉश इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। कुछ नियमों का पालन कर आप वजाइना की सफाई आसानी से कर सकती हैं।
सोने से पहले पैंटी बदलें
सिंथेटिक पेंटी पहनने से वजाइनल इंफेक्शन हो सकता है इसलिए हमेशा कॉटन पेंटी पहनें। स्वास्थ्य और सफाई के लिहाज से वजाइनल एरिया की वेंटीलेशन जरूरी है। बहुत टाइट कपड़े पहनने से वजाइनल एरिया में हवा नहीं पहुंच पाती, जिससे इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए खासकर गर्मी के मौसम में ढीले ढाले कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है।
सुबह-शाम वजाइनल एरिया की सफाई करना बेहद जरूरी है। दिनभर एक ही पेंटी पहनकर रात में वही पेंटी पहनकर सोना हाइजीन के लिए सही नहीं। ठंडे मौसम में दो बार नहा नहीं सकतीं तो रात में सोने से पहले वजाइनल एरिया की सफाई करने के बाद पेंटी जरूर बदलें। ये आदत इंफेक्शन से बचाव करती है।
वजाइनल एरिया में नमी रहती है। इस नमी के साथ जब गंदगी मिल जाती है तो इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। दर्द-खुजली, वजाइनल डिस्चार्ज के कलर में बदलाव या बदबू को नजरअंदाज न करें। प्यूबिक हेयर को रेगुलर ट्रिम करती रहें करें।
महिलाएं इंफेक्शन की बात छिपाती हैं
वजाइनल इंफेक्शन को लेकर लापरवाही महिलाओं के लिए बड़ा रिस्क है। महिलाएं वजाइनल इंफेक्शन के बारे में बात करने में हिचकिचाती हैं, जिससे समस्या बढ़ जाती है। वजाइनल इंफेक्शन सफाई के अभाव, पब्लिक टॉयलेट के इस्तेमाल, पति को इंफेक्शन होने, मल्टिपल पार्टनर से हो सकता है।
वजाइनल इंफेक्शन के शुरुआती ट्रीटमेंट में सिर्फ दवाइयां लेनी होती हैं, लेकिन देर होने पर इलाज मुश्किल हो जाता है। समय पर इलाज न मिले तो यूट्रस की लाइनिंग डैमेज हो सकती है, फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हो सकती है, मां बनने में दिक्कत आती है। वजाइनल इंफेक्शन में पति-पत्नी दोनों को इलाज लेना चाहिए ताकि इंफेक्शन ट्रांसमिट न हो।
ये दाग पीरियड्स के नहीं
महिलाओं की पैंटी पर पीरियड्स के अलावा जो दाग नजर आते हैं, उसकी जानकारी हर महिला को होनी चाहिए। महिलाओं को ये भी मालूम होना चाहिए कि पैंटी पर दिखने वाले ये दाग कब नॉर्मल और कब खतरनाक हो सकते हैं।
महिलाओं की पैंटी पर पीरियड्स के अलावा भी एक दाग नजर आता है, जिसके कारण उस जगह पर पैंटी का कलर उड़ा हुआ दिखता है। महिलाओं में पीरियड्स के अलावा भी वजाइनल डिस्चार्ज होता है और ऐसा होना नॉर्मल है।
गीलेपन से बढ़ता इंफेक्शन
पीरियड्स के अलावा यूट्रस में से फ्लूइड डिस्चार्ज होता है, जिससे वजाइना की अंदरूनी सतह गीली और गर्म रहती है। वजाइनल एरिया की सही तरीके से सफाई न करने पर गीलेपन के कारण इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
इंफेक्शन से बचाव वजाइना को इंफेक्शन से बचाने के लिए बॉडी नेचुरल एसिड बनाती है इसलिए वजाइना का Ph लेवल कम होता है। पैंटी पर लगे ये दाग उसी एसिड के होते हैं। यानी शरीर अपनी सुरक्षा करना जानता है।
ऐसे में जब महिलाएं वजाइनल वॉश से प्राइवेट पार्ट क्लीन करती हैं तो वजाइना का Ph बैलेंस बिगड़ जाता है और इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है। वजाइना की सफाई के लिए केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से बचें। वजाइना क्लीन करने के लिए गुनगुने पानी का उपयोग करें।
पैंटी धूप में सुखाएं
महिलाएं शर्म और हिचक के कारण पैंटी को कपड़ों के बीच छिपाकर सुखाती हैं, जिससे उन्हें धूप नहीं मिलती और बैक्टीरिया के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। बैक्टीरिया से बचने के लिए पैंटी को हमेशा धूप में सुखाएं।
डाइट में प्रोबायोटिक लें
कमजोर इम्यूनिटी से इंफेक्शन जल्दी होता है। वजाइनल इंफेक्शन से बचने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाएं। नींबू, संतरा, गाजर, चुकंदर, किवी, स्ट्रॉबेरी को डाइट में शामिल करें।
बैक्टीरिया के इंफेक्शन से बचने के लिए डाइट में प्रोबायोटिक शामिल करें। दही के बेहतरीन प्रोबायोटिक है, महिलाओं को रोजाना दही का सेवन करना चाहिए।
मीठा कम खाएं
ब्लड में शुगर के बढ़ने से वजाइनल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए जरूरत से ज्यादा मीठा खाने से बचें। इसे दोनों तरह से देखा जा सकता है। शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से वजाइना में खुजली, इंफेक्शन होता है, जिससे यह पता चलता है कि शरीर में शुगर का लेवल बढ़ गया है।
जान-जहान की और खबर पढ़ें-
नीले निशान बीमारी की निशानी- माहवारी, खून की कमी, सर्दियों में बढ़ती समस्या, दिल-दिमाग पर पड़ता बुरा असर, उपचार के लिए आदत बदलें
कुछ लोगों के शरीर पर बिना चोट लगे भी नीले निशान दिखाई देते हैं। ऐसा क्यों होता है? शरीर पर क्यों पड़ते हैं नील? इसका कारण, लक्षण और उपाय बता रहे हैं रांची स्थित बर्लिन डायग्नोस्टिक्स में इंटरनल मेडिसिन डॉ. रविकांत चतुर्वेदी।त्वचा पर नीले निशान पड़ना ब्लड क्लॉटिंग यानी खून जमने की समस्या है। शरीर में नील पड़ना इस बात का संकेत है शरीर में जितना ऑक्सीजन जाना चाहिए उतना नहीं जा रहा है। ऐसा क्यों होता है, आइए समझते हैं। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
ठंड में नाक से खून आने की वजह, हाई ब्लड प्रेशर, इंफेक्शन, कमजोरी की वजह से फूटता नकसीर; जानें सर्दियों में हेल्दी रहना
गर्मियों में नाक से खून आना यानी नकसीर फूटना आम बात है। कई लोगों को गर्मियों में ये समस्या हो जाती है। लेकिन आप क्या जानते हैं कि सर्दियों में भी नकसीर फूटती है। सर्दियों में नकसीर फूटने की एक बड़ी वजह ब्लड प्रेशर हाई हो जाना है। ठंड के दिनों में खून और सांस की नलियां सिकुड़ जाती हैं। ऐसे में जब भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है, तो पतली सिकुड़ी हुई खून की नालियां खून के तेज बहाव को संभाल नहीं पातीं। ये नालियां फट जाती हैं और नाक के रास्ते खून निकलने लगता है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
-
पेट दर्द कब बनता खतरे की घंटी: लिवर इंफेक्शन, आंतों की टीबी, किडनी-गॉलब्लैडर में पथरी हो सकती है वजह, इनके लक्षणों को पहचानें
- कॉपी लिंक
शेयर
-
ये नमक बीमारियों से बचाता है: गैस, ब्लोटिंग, सूजन, इन्फेक्शन से राहत पाएं, सिलबट्टे पर पीसकर बनाएं पहाड़ी नमक ‘पिस्यु लूण’
- कॉपी लिंक
शेयर
-
राजमा खाने से नहीं बनेगी गैस: मोटापा-झुर्रियां गायब, याददाश्त बढ़ेगी, एसिडिटी-डायबिटीज-दिल के रोगी सीखें दाल बनाने का सही तरीका
- कॉपी लिंक
शेयर
-
चटपटा खाने के शौकीन सोडा से दूरी बनाएं: विटामिन बी कॉम्प्लेक्स नष्ट हो जाता, हार्ट प्रॉब्लम, डायबिटीज, किडनी, पेट फूलने की समस्या बढ़ती
- कॉपी लिंक
शेयर
#women #vaginal #wash #कय #महलओ #क #वजइनल #वश #क #जररत #ह #बवजह #सफई #स #बढ़त #बमरय #सन #स #पहल #पट #बदल #कमकल #बगड़त #पएच #बलस