5 घंटे पहले
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आज पूरे सात दिन बाद सान्वी को शांति के कुछ पल नसीब हुए थे। लेकिन यह तूफान से पहले की शांति थी। वह दुल्हन बनी खुद अपना शृंगार कर रही थी और बाकी सबको उसने कमरे से बाहर कर दिया था।
वह लंदन से पढ़कर जरूर लौटी थी, पर शादी खानदानी रीति-रिवाजों के हिसाब से पुश्तैनी कोठी में हो रही थी। जहां हल्दी के बाद से दुल्हन का दहलीज लांघना सख्त मना था। सिर्फ फेरों के बाद विदा होकर ही बाहर जा सकती थी। ऐसे में इस ब्यूटी पार्लर से तैयार होकर आने का सवाल ही नहीं उठता था।
वैसे भी जब शादी घरवालों की पसंद से हो रही थी, दूल्हा घर वालों का चुना हुआ, जगह घरवालों की चुनी तो क्या ही फर्क पड़ता था, जो हो रहा, होने दो।
बार-बार भर आ रही आंखों को वह बेदर्दी से रगड़ रही थी। हर प्रेम कहानी का अंजाम शादी नहीं होता। तभी तो उसे कहानी कहते हैं। अब वह किसी और की ब्याहता होने वाली है। यह सब अब नहीं सोचना चाहिए।
तभी दरवाजे पर धीमे से दस्तक हुई। उसने उठना जरूरी नहीं समझा।
“जिज्जी ओ जिज्जी। देख थारा अंग्रेज आसिक आ गया से।” चुनमुन की आवाज पर वह झटका खाकर उठी।
“जिज्जी, देख थारा गोरा हीरो तन्ने भगाने आ गया से। तन्ने देखा तो जे जाना सनम। प्यार होवे से दीवाना सनम….” चुनमुन एकदम जोश से भरी हुई थी।
“चुप कर जा मरजाणी। किसी ने सुन लिया तो हम तीनों को यहीं जिंदा गाड़ देगा।” सान्वी एकदम घबरा गई।
“यह क्या हरकत है अर्चित। क्यों कर रहे हो अब यह सब। मरना है क्या?” उसने एक झटके से चुनमुन के पीछे साड़ी में घूंघट निकाले खड़े उस लड़के को झिंझोड़ते हुए पूछा।
“ओह बेब्स, जस्ट चिल।” उसने घूंघट हटाते हुए कहा।
“अलेक्स तुम..? वह अर्चित…?” अब उसे दूसरा झटका लगा था।
“जिज्जी, इसकी चमड़ी तो ऐसी सफेद लागे से जो चूना पोत आया से।” चुनमुन अभी भी दांत चियारे खड़ी थी।
अलेक्स ने उसके हाथ में पांच सौ के दस नोट रखे तो वह खिलखिलाकर गायब हो गई।
“अलेक्स व्हाट द हेल। हैव यू अ डेथ विश? मरना है तुमको। और मरना है, मर जाओ, मुझे बख्श दो। जल्दी से दफा हो जाओ, इससे पहले कि कोई देख ले। आए ही क्यों हो तुम? सान्वी को सच में डर लग रहा था।
“ओह, कम ऑन यार! इतनी बड़ी शादी है, एक मेहमान से खाना थोड़े खत्म हो जाएगा।” अलेक्स रिलैक्स्ड मूड में था।
“तुमको पता नहीं तुम्हारी इस हरकत से क्या तमाशा हो सकता है। तुम सबको दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के राज लगोगे और मैं सिमरन। और यह कि तुम लंदन से यहां मुझे भगाने के लिये आए हो।”
“कौन राज, कौन सिमरन और किसी को ऐसा क्यों लगेगा?” अलेक्स को कुछ समझ नहीं आ रहा था।
“मेरा सिर। एक्चुअली मेरा ही दिमाग खराब हो गया था। फर्स्ट ईयर में जब मैं नई नई लंदन आई थी, सहेलियों के बीच शेखी बघारने को बोल दिया था कि तुम मुझ पर फिदा हो। तुम्हारे साथ ट्रिप की कुछ फोटोज थी न मेरी।” सान्वी के लहजे में शर्मिंदगी थी और अलेक्स की आंखों में हैरत और होठों पर मुस्कुराहट।
“क्या इतना हैंडसम हूं मैं।”
“नहीं, गोरी चमड़ी का क्रेज है इधर। खैर, वह सब छोड़ो और ये बताओ कैसे आना हुआ। और यह साड़ी क्यों पहन रखी है।”
“एक तो किसी को इंग्लिश नहीं आती यहां। ऊपर से तुम घर से निकल ही नहीं रही हो कहीं। तब और क्या रास्ता था। तुम्हारी कजिन पांच हजार में गेटअप चेंज करके यहां चुपके से पहुंचाने को राजी हुईं।” अलेक्स ने ठंडी सांस भरी।
“व्हाट, तुम कबसे रेकी कर रहे थे मेरे घर की और क्यों?” सान्वी को शक हो रहा था।
“मुझे गलत मत समझो। मैं यहां अर्चित के कहने पर आया हूं। वह नेपाल में हमारा इंतजार कर रहा है। सब तैयारियां हो चुकी हैं। जल्दी चलो।”
“आर यू आउट ऑफ योर माइंड? एक घंटे में बारात आने वाली है मेरी। तुम और अर्चित मुझे समझते क्या हो? तुम्हारी पपेट। जिंदा रहना चाहते हो तो निकल लो अभी।” गुस्से से सान्वी के गाल तपने लगे।
“देखो अर्चित ने तुम दोनों के फोटो, वीडियो, चैट सब बताए मुझे। मैं जानता हूं, तुम भी उसे बहुत चाहती हो। उस टाइम उसकी हिम्मत नहीं हुई, पर अब वह तुम्हें किसी और की होते नहीं देख पा रहा। इतना रोया, अपनी जान देने पर उतारू था। इसीलिए मैं आया हूं।”
“हां, चाहती थी उसे। अब भी प्यार करती हूं। शायद हमेशा करूंगी। वह बंदा सही है, पर जिम्मेदारी उठाने के मामले में फिसड्डी है। जब मैंने उससे कोर्ट मैरिज का कहा, तो डर गया। जात बिरादरी, मम्मी की मर्जी, पापा नहीं मानेंगे, मेरे खतरनाक भाई, सब दिखने लगे।
अभी भी देखो जान जोखिम में डालने, खतरा उठाने की बात आई तो तुमको भेज दिया। खुद नेपाल में आराम फरमा रहा है।”
सान्वी की बात पर अलेक्स कुछ कहता, इससे पहले ही धड़ से दरवाजा खुला और बंदूक लिए कोई दहाड़ा, “कौन है रे तू, हिम्मत कैसे हुई हमारी इज्जत पर नजर डालने की। अब नहीं बचेगा तू।”
“काका, आप गलत समझ रहे हैं। इसने कुछ नहीं किया। बस मजाक कर रहा था। यह खाना खाकर बस जा ही रहा है।”
“ये बाल धूप में सफेद न किये छोकरी। सुकर मना बारात नहीं आई है। वरना दोनों को मार देता। अभी बस इसे ठिकाने लगा दूं।”
इतना कहकर वह ट्रिगर दबाते इससे पहले ही अलेक्स बिजली की फुर्ती से उन पर झपट पड़ा। दोनों में गुत्थम गुत्था होने लगी। अलेक्स जवान था, उसके पास टेकनीक थी। वह हथियार छुड़ाना चाहता था, पर इस कोशिश में गोली चल गई।
“ओह माय गॉड! यह क्या किया अलेक्स। चलो, जल्दी भागते हैं यहां से। मैं पीछे के दरवाजे से एक रास्ता जानती हूं।” सान्वी चीखी।
“नहीं सान्वी। तुम क्यों भागोगी। तुम सेफ रहो। मैं पुलिस को सरेंडर कर रहा हूं। यह सब मैं नहीं चाहता था।”
“पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं है कि ठाकुर सा की परमिशन के बिना कदम रखे यहां। उससे पहले ही यह लोग तुम्हें गोली मार देंगे।”
“पर मैंने तो खुद को बचाने के लिए सेल्फ डिफेंस में…” अलेक्स बात पूरी कर पाता उससे पहले ही सान्वी उसे खुफिया दरवाजे तक घसीट कर ले जा चुकी थी।
“मुझे भी नहीं छोड़ेंगे ये लोग अब। हमें साथ में रहना ही होगा नेपाल तक।” सान्वी की बात पर उसने सिर हिलाया।
अलेक्स बात का पक्का था। इंतजाम भी सब पुख्ता थे। बाहर निकलते ही हथियारबंद ड्राइवर जीप लेकर तैयार था। वे लोग नेपाल के रास्ते पर पहुंच चुके थे।
“कितना खर्च आया इन सब में?” सान्वी ने पूछा।
“डोंट वरी। अर्चित सब चुका देगा।”
“अरे, मतलब पैसे तक नहीं मिले तुम्हें अब तक। तुम्हारी अर्चित से इतनी पक्की यारी कब हो गई?
“अर्चित से नहीं, तुमसे। यह सब मैं तुम्हारे लिए कर रहा हूं। तुम इतना चाहती हो अर्चित को। उसके बिन खुश नहीं रह पाती।” अलेक्स की बातों की सच्चाई से सान्वी के दिल को कुछ हुआ।
“मेरी खुशी की इतनी फिक्र? पराए देश जान हथेली पर लेकर चले आए। पर क्यों?”
“इस क्यों का जवाब नहीं है मेरे पास।”
“है, देना ही होगा।”
“तुम जानती हो जवाब। तुमने जो अपनी कजिन्स से कहा था, झूठ नहीं था। मुझे तुमसे सच में पहली नजर वाला प्यार हो गया था। लेकिन मैं जानता था इंडिया में जहां से तुम बिलॉन्ग करती हो, किसी लड़की को फॉरेन भेजना कितनी बड़ी बात है। मैं नहीं चाहता था तुम्हारी रेप्यूटेशन और करियर पर कोई असर पड़े। फिर अर्चित आ गया तुम्हारी जिंदगी में…”
अलेक्स का गला रुंध गया और सान्वी के आंसू भी पलकों की कोर छोड़ चुके थे।
नेपाल तक का रास्ता खामोशी और चौकन्ने होकर कटा। बताए गए होटल पर जब वह पहुंचे तो रूम में एक लिफाफा मिला-
“अलेक्स, यह तूने क्या किया? जानबूझकर हंगामा किया न? जानता था तेरी बुरी नजर है सान्वी पर और ये सान्वी भी तुझसे मिली हुई है न, कैसे फटाफट भाग आई। शुक्र मना, काका के कंधे से छूकर निकली गोली, नहीं तो मर्डर केस बन जाता। अटेम्प्ट टू मर्डर और किडनैपिंग का तो अब भी बनेगा। इसलिए मैं जा रहा हूं। फोन नंबर और एड्रेस बदल लिया है। तुम दोनों में से कोई भी कभी शक्ल मत दिखाना, कभी कॉन्टेक्ट की कोशिश मत करना।”
और कुछ नहीं लिखा था।
“कायर… फट्टू…” सान्वी एकदम फट पड़ी।
“अब क्या होगा? तुमको वापस पहुंचाया तो कहीं तुम्हें न मार डालें तुम्हारे घर वाले।” अलेक्स को चिंता थी, पर सान्वी रिलैक्स्ड थी।
“यह चिंता मुझे तब होती, जब मैं अर्चित के प्यार में पागल होती अब तक। लेकिन मैं उसकी फितरत जान चुकी थी, इसलिए एक ऐसे लड़के के साथ जिंदगी बिताने तैयार हो गई, जिससे मिली तक नहीं कभी, कि कम से कम मेरे घरवाले ही खुश हो जाएंगे। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि उन्हें मुझ पर भरोसा ही नहीं।
मेरा क्या होगा, मुझे यह चिंता तब होती, जब यह सब कांड होने से पहले तुमने मुझसे अपना प्यार कन्फेस न किया होता। लगता कि मुझ पर तरस खा रहे हो। तो अब सब प्लान के मुताबिक ही होगा। बस दूल्हा बदल जाएगा।”
“क्या सचमुच तुम मेरे साथ..?”
“क्यों, तुम भी डर गए क्या?”
“नो नो! एक मिनट, मुझे घुटने के बल तो बैठने दो। मिस सान्वी, विल यू मैरी मी?
“ऑफकोर्स। राइट हियर, राइट नाऊ। बाकी सब हम मिल जुलकर सॉर्ट कर ही लेंगे। तुम तो हो न साथ।” सान्वी ने हाथ बढ़ाया, अलेक्स ने खींचकर उसे गले लगा लिया, हां, हमेशा से था, हमेशा रहूंगा…”
– नाज़िया खान
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