नई दिल्ली9 दिन पहलेलेखक: मरजिया जाफर
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नाखून सिर्फ हाथ-पैरों की खूबसूरती नहीं बढ़ाते, बल्कि सेहत का अलार्म भी होते हैं। कई बार नाखूनों में फंगस की शिकायत होती है। नेल फंगस सिर्फ नाखूनों की खराबी और नाखून रोग का ही नहीं, बल्कि कई गंभीर बीमारियों की तरफ इशारा करते हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ अमरजीत सिंह नेल फंगस के बारे में आज ‘जान-जहान’ में जानकारी दे रहे हैं।
नेल फंगस क्या है
नेल फंगल एक तरह का नाखूनों का इंफेक्शन है, जो हाथों की उंगलियों में और अंगूठों में होता है। इसकी वजह से नाखून बेरंग और मोटे भद्दे नजर आते हैं। यह इंफेक्शन उंगलियों से ज्यादा अंगूठे के नाखून में होता है। इसे ऑनिओमाइकोसिस के नाम से भी जानते हैं। नेल फंगस कई तरह के होते हैं।
डिस्टल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस
यह सबसे आम नेल इंफेक्शन है, जो नाखून के नोक को नुकसान पहुंचाती है। इस दौरान नाखून का आगे का हिस्सा टूट जाता है, सूजन आ जाती है और नाखून के नीचे का हिस्सा मोटा होने लगता है।
व्हाइट सुपरफिशियल ऑनिओमाइकोसिस
यह इंफेक्शन नाखूनों की ऊपरी जिल्द को नुकसान पहुंचाता है। कुछ समय बाद यह इंफेक्शन नाखून के कॉर्निफाइड लेयर यानी अंदरूनी लेयर को नुकसान पहुंचाता है। यह इंफेक्शन फैलता ही जाता है, जिससे नाखून खुरदरे, नाजुक और टेढ़े हो सकते हैं।
नाखून का कैंडिडा संक्रमण
नाखूनों में होने वाला कैंडिडा इंफेक्शन सबसे खतरनाक होता है। यह नाखून से चिपकी स्किन को भी नुकसान पहुंचाता है। यह अंगूठे के नाखून के साथ ही अन्य नाखूनों में भी होता है। कई बार नाखून अंगूठे से अलग हो जाता है। यह इंफेक्शन पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ज्यादा होता है। कैंडिडा नेल फंगस के मध्य उंगली यानी मिडिल फिंगर में होने की आशंका ज्यादा होती है।
प्रॉक्सिमल सबंगुअल ऑनिओमाइकोसिस
यह नेल फंगस उन लोगों को ज्यादा होता है जो लोग पहले से ही एचआईवी से संक्रमित हैं। यह नाखून के बेस और पैर की स्किन को नुकसान पहुंचाता है।
किस कारण होता है नेल फंगस
नाखून में होने वाला फंगल इंफेक्शन अलग-अलग तरह के फंगस की वजह से होता है। इसका कारण ईस्ट और मोल्ड्स फंगस भी हो सकते हैं, जो पर्यावरण में ही रहते हैं। ये नाखून और उसकी आसपास की स्किन में मौजूद छोटी-छोटी दरारों से नाखून के अंदर इंफेक्शन फैलने की वजह से होता है।
वैसे तो किसी को भी नेल फंगस हो सकता है, लेकिन कुछ लोगों में यह फंगल इंफेक्शन होने की आशंका दूसरों के मुकाबले ज्यादा होती है। इसमें बुजुर्गों, नाखून चोटिल होना, नाखून की सर्जरी होना, शुगर होना, कमजोर इम्यून सिस्टम, ब्लड सर्कुलेशन और पैर में दाद की परेशानी की वजह शामिल है।
नाखून की बीमारी के लिए घरेलू उपाय
नारियल का तेल फंगस से बचाएगा
नारियल के तेल में एंटीफंगल गुणों को होते हैं। इसलिए, नारियल के तेल का इस्तेमाल नाखून को फंगस से बचाने और नेल फंगस होने पर इसे घरेलू इलाज के तौर पर कर सकते हैं। नारियल के तेल की कुछ बूंदें नाखून पर लगाकर छोड़ दें। इस प्रक्रिया को रोजाना 2 से 3 बार दोहराएं।
टी-ट्री ऑयल में एंटी-फंगल गुण होते हैं
टी-ट्री ऑयल में एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो नाखून में होने वाले फंगस से बचाने में मदद करते हैं। टी-ट्री ऑयल को नेल फंगल के लक्षणों से प्रभावित नाखूनों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एक चम्मच नारियल तेल में तीन बूंदें टी ट्री ऑयल की डालकर अच्छे से मिलाएं और रूई की मदद से नाखून पर लगाकर सूखने दें। नाखून का फंगस ठीक न होने तक इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराएं।
ओजोनाइज्ड सूरजमुखी का तेल
ओजोनाइज्ड सूरजमुखी तेल में मौजूद रोगाणुरोधी गुण बैक्टीरिया, वायरस और फंगस से लड़ने में मदद करते हैं। इसलिए, इसका इस्तेमाल नाखून के फंगस को दूर करने के लिए भी किया जा सकता है। ओजोनाइज्ड सूरजमुखी तेल की कुछ बूंदें नाखून पर लगाकर इसपर रूई लपेट लें। इस प्रक्रिया को आप रोजाना एक बार करें।
अजवाइन का तेल
अजवाइन के तेल में भी टी-ट्री ऑयल की तरह ही शक्तिशाली एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो नेल फंगस को खत्म करने में मदद कर सकते हैं। एक चम्मच नारियल तेल में तीन से चार बूंदें अजवाइन का तेल डालें। अब इसे अच्छी तरह से मिलाकर नाखून पर लगाकर सूखने के लिए छोड़ दें। इसे रोजाना दो बार कर सकते हैं।
स्नेक रूट का अर्क
स्नेक रूट का अर्क नाखून के फंगस को बिना किसी साइड इफेक्ट को ठीक करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटी-फंगल गुण कैंडिड और अन्य फंगस को दूर करने में सहायक है। पानी की कुछ बूंदों में थोड़ा सा स्नेक रूट अर्क मिलकर इसका मिश्रण तैयार करके नाखून पर लगाएं। 30 से 60 मिनट के बाद इसे धो दें। इसे आप रोजाना दो बार कर सकते हैं।
जैतून की पत्तियों का अर्क
ऑलिव लीफ एक्सट्रैक्ट में ओलेरोपीन जैसे यौगिक होते हैं, जो एंटीफंगल गुणों के लिए जाने जाते हैं। इसलिए यह नाखून के फंगल इंफेक्शन को ठीक करने में भी मदद करते हैं। जैतून की पत्तियों के अर्क को नाखून पर लगाकर इसे सूखने के लिए छोड़ दें। इसे रोजाना दो बार कर सकते हैं।
एलोवेरा जेल
एलोवेरा जेल फंगस से प्रभावित नाखून को ठीक करने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल गुण नाखूनों में कवक को फैलने और इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। ताजा एलोवेरा जेल को नाखूनों पर लगाकर 20 मिनट के बाद धो लें। रोजाना इस प्रक्रिया को 1 से 2 बार दोहएं।
नाखूनों में फफूंद लगने से आसपास की स्किन बेजान सी हो जाती है।
विक्स वेपोरब
नेल फंगस के इलाज के लिए विक्स वेपोरब का इस्तेमाल भी काफी कारगर है। इसमें मौजूद मेन्थॉल कंपाउंड ऑनिओमाइकोसिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं। नाखूनों को ट्रिम करके धोएं, पूरी तरह से सूखने के बाद विक्स वेपोरब को नाखून के चारों ओर लगाकर रूई से लपेटकर कुछ घंटों के लिए ऐसे ही छोड़ दें। जब तक आराम न मिले तब तक आप हफ्ते में एक बार इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं।
बेकिंग सोडा
बेकिंग सोडा में एंटीफंगल गुण होते हैं, जो फंगल से लड़ने में मदद करता है। इसमें ऑनिओमाइकोसिस जैसे फंगल इंफेक्शन से नाखूनों को बचाने की क्षमता होती है। बेकिंग सोडा का गाढ़ा पेस्ट बनाकर प्रभावित नाखून पर लगाकर 20-30 मिनट के बाद इसे धो लें। ऐसा रोजाना 1 से 2 बार करें।
सिरका
सिरके को पैर साफ करने और नाखून के फंगस को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें मौजूद एंटी माइक्रोबियल गुण फायदेमंद होते हैं। एक छोटे टब में आधा कप सिरका और तीन कप पानी डालकर पैरों को कम से कम 20 मिनट के लिए भिगोकर रखें। रोजाना एक बार इस प्रक्रिया को दोहरा सकते हैं।
लहसुन
लहसुन में एक यौगिक होता है, जिसे ऐजीन कहा जाता है। इस यौगिक में एंटी माइकोटिक ड्रग के गुण होते हैं, जो एंटीफंगल की तरह काम करते हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह नाखून के फंगल को ठीक करने में मदद कर सकता है। एक से दो लहसुन को हाथों से कुचलकर नाखून पर लगाकर 30 मिनट बाद धो लें। इस प्रक्रिया को 1 से 2 बार कर सकते हैं।
हाइड्रोजन पेरोक्साइड
हाइड्रोजन पेरोक्साइड से भी नेल फंगस का इलाज कर सकते हैं। इसमें मौजूद एंटी फंगल गुण नाखून के फंगस को दूर करने में मदद करता है। तीन कप पानी में आधा कप 3% हाइड्रोजन पेरोक्साइड डालकर 20 मिनट तक इसमें पैर भिगोकर रखें। इसके बाद पैर को पोंछ लें। इसे रोजाना एक बार कर सकते हैं।
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